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सिंगापुर की परिसंपत्ति प्रबंधन फर्म – वैंटेज पॉइंट ऐसेट मैनेजमेंट दिवालिया एसकेएस पावर जनरेशन (छत्तीसगढ़) के लिए 1,800 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में सामने आई है। बैंकिंग क्षेत्र के एक सूत्र ने कहा कि अहमदाबाद की टॉरंट महज सात करोड़ रुपये के अंतर के साथ दूसरे स्थान पर है। सूत्र ने कहा कि नागपुर की शारदा एनर्जी और नवीन जिंदल के स्वामित्व वाली जिंदल पावर ने भी अच्छी पेशकश की है और सर्वाधिक पेशकश के करीब हैं।
लेनदारों की समिति (सीओसी) इन पेशकशों का मूल्यांकन कर रही है और जल्द ही बोलियों पर मतदान करेगी। एसकेएस के पास छत्तीसगढ़ में 600 मेगावॉट का बिजली संयंत्र है और वर्तमान में एनटीपीसी द्वारा चलाया जा रहा है। सूत्र ने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और अदाणी समूह ने आक्रामक पेशकश नहीं की है, हालांकि सरकारी स्वामित्व वाली एनटीपीसी की पेशकश भी आक्रामक नहीं है।
अदाणी और आरआईएल दोनों ही पहले लैंको अमरकंटक बिजली परियोजना की दौड़ में थीं, लेकिन सरकारी स्वामित्व वाली आरईसी से पिछड़ गईं। वैंटेज पॉइंट को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला। टॉरंट ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एक बोलीदाता ने कहा कि ऋणशोधन अक्षमता और दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत अब बिक्री के लिए कोयला आधारित ज्यादा परियोजनाएं नहीं हैं और एसकेएस उसकी कोयला आपूर्ति के साथ आकर्षक खरीद है।
एसकेएस पॉवर के मामले में कर्जदाता ज्यादा कटौती नहीं करेंगे। भारतीय स्टेट बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के 1,890 करोड़ रुपये की ऋण चूक करने के बाद कंपनी को दिवालिया अदालत में भेज दिया गया था। इससे पहले हॉन्गकॉन्ग की एग्रीट्रेड रिसोर्सेज ने नवंबर 2018 में एकमुश्त निपटान के सौदे में भारतीय ऋणदाताओं से यह संयंत्र खरीदा था। लेकिन एग्रीट्रेड खुद ही वित्तीय संकट में फंस गई और कर्ज नहीं चुका पाई।