‘समाधान पेशेवर 8 वर्षों तक रखें डिजिटल रिकॉर्ड’

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:18 PM IST

भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के नियमों में संशोधन किया है। इससे समाधान पेशेवरों (आरपी) को कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) की बैठक बुलाने का अधिकार मिल गया है, भले ही किसी बैठक के लिए कोई अनुरोध न किया गया हो।
समाधान पेशेवरों के लिए आईडीबीआई द्वारा कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया पूरी करने की तिथि के बाद सभी रिकॉर्डों की इलेक्ट्रॉनिक प्रति 8 साल तक और भौतिक प्रति 3 साल तक रखना अनिवार्य होगा।
नए नियम 18 (3) डाले जाने से समाधान पेशेवरों को सीओसी में अपने विवेक के आधार पर प्रस्ताव आगे बढ़ाने या सीओसी के 33 प्रतिशत मतदान के बाद प्रस्ताव पेश करने की अनुमति होगी।
शिवदास ऐंड शिवदास के पार्टनर प्रशांत शिवदास ने कहा, ‘इससे निश्चित रूप से आरपी को ज्यादा शक्तियां और व्यापक नियंत्रण मिला है। अधिसूचना से अस्पष्टता दूर हुई है और सही समय सीमा व ब्योरा तय हुआ है।’
आईबीबीआई ने आरपी को सुरक्षित स्थान पर रिकॉर्डों को संरक्षित रखना अनिवार्य कर दिया है और आईबीसी के तहत जरूरत पडऩे पर उन्हें प्रस्तुत करना होगा। विशेषज्ञों ने कहा कि पहले के नियम 39ए में सीआरआईपी प्रक्रिया से रिकॉर्डों का संरक्षण अनिवार्य किया गया था, जो अस्पस्ट था।
नए कानून 39 ए (2) में 14 दस्तावेजोंं की सूची है, जिन्हें आरपी द्वारा सीआरआईपी से बनाए रखने की जरूरत होगी। इन दस्तावेजों में कर्जदाताओं की समिति के गठन संबंधी दस्तावेज, समाधान पेशेवर की लागत व अन्य शामिल है।  
अनंत लॉ में वकील नीतीश शर्मा ने कहा कि हालांकि रिकॉर्ड संरक्षित करने की दिशा में कदम सकारात्मक है, लेकिन इसने आरपी पर रिकॉर्ड रखने का बोझ डाल दिया गया है।

First Published : February 11, 2022 | 11:07 PM IST