सरकार के स्वामित्व वाली तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने शुक्रवार को कहा कि 1.79 डॉलर प्रति मिलियन मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) यानी 1.79 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट की कम गैस कीमत की वजह से करीब 7,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
ओएनजीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शशि शंकर ने शुक्रवार को मीडिया को बताया कि इस संकट से मुकाबले के लिए, सरकार मूल्य निर्धारण फॉर्मूले में संशोधन के विकल्पों पर विचार कर रही है और
एक समिति इस मामले को देख रही है। ओएनजीसी के निदेशक (वित्त) सुभाष कुमार ने कहा, ‘उत्पादन की औसत लागत करीब 3.6-3.7 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू रह गई है। मौजूदा कीमत पर, हमें करीब 2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू का नुकसान हो रहा है, जिससे सालाना लगभग 7,000 करोड़ रुपये के नुकसान को बढ़ावा मिलेगा।’
चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-मार्च अवधि के लिए कीमतें 1.79 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के निचले स्तर पर पहुंच जाने के बाद यह स्थिति पैदा हुई है। ये कीमतें अप्रैल से सितंबर की अवधि के 2.39 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से 25 प्रतिशत कम हैं। सरकार ने डीपवाटर, अल्ट्रा-डीपवाटर और हाई प्रेशर और हाई-टेम्परेचर इलाकों से उत्पादित गैस के लिए भी कीमतें समीक्षाधीन अवधि में 28 प्रतिशत तक घटाकर 4.06 डॉलर प्रति एमएमीटीयू कर दी हैं, जबकि 2020 की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान ये 5.61 डॉलर पर थीं। शंकर ने कहा, ‘हमने अपनी चिंताओं से अधिकारियों को अवगत करा दिया है। मूल्य निर्धारण फॉर्मूले में संशोधन किए जाने की संभावना है, जिसे जापान कोरिया मार्कर (जेकेएम) की तरह जोड़ा जा सकता है।’
सरकार ने इस सप्ताह के शुरू में भारत में प्राकृतिक गैस उत्पादकों के लिए विपणन और मूल्य निर्धारण को स्वतंत्र बनाने की अनुमति दी थी और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नए उत्पादन इलाकों और उच्च-दबा तथा उच्च-तापान वाले इलाकों से कीमत निर्धारण के लिए एक मानकीकृत ई-बोली प्रक्रिया को स्वीकृति दी।
शंकर ने कहा, ‘जो नई गैसें वाणिज्यिक तौर पर व्यवहार्य नहीं थीं, अब उत्पादन और पुन: मूल्यांकन के लिए तैयार की जाएंगी। इसके अलावा, केजी डीडब्ल्यूएन 98/2 से, हमें प्रतिदिन 1.5 करोड़ मानक घन मीटर गैस का अतिरिक्त उत्पादन होने की संभावना है।’ ओएनजीसी को वर्ष 2023 तक इस नए क्षेत्र से 38,000 बैरल तेल और 60 लाख मानक घन मीटर गैस का उत्पादन होने की संभावना है।
