इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मीडिया अधिकारों के लिए ई-नीलामी का पहला दिन रविवार को पूरा हो गया। इस नीलामी में टेलीविजन और डिजिटल मीडिया अधिकारों के लिए आई बोलियां 43,000 करोड़ रुपये को पार कर गईं। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को इसकी जानकारी दी। इस रफ्तार से टेलीविजन एवं डिजिटल अधिकारों से प्राप्त संयुक्त रकम पूर्व के 16,347 करोड़ रुपये से ढाई गुना से अधिक हो गई है।
टीवी एवं डिजिटल अधिकारों का संयुक्त मूल्य 33,000 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य से करीब 10,000 करोड़ रुपये अधिक हो गया है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड-बीसीसीआई-ने 2023-27 के लिए मीडिया अधिकारों के लिए आरक्षित मूल्य 33,000 करोड़ रुपये रखा है।
सूत्रों ने कहा कि टीवी एवं डिजिटल अधिकारों के लिए बोली प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है जिसका यह मतलब निकाला जा सकता है कि यह रकम सोमवार को 50,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। विशेष अधिकार पैकेजों और रेस्ट-ऑफ-द-वर्ल्ड राइट के लिए भी सोमवार को बोलियां आएंगी। सूत्रों ने कहा कि सोमवार शाम तक सफल बोलीदाताओं के नामों की घोषणा हो जाएगी।
ई-नीलामी में हिस्सा लेने वाले यह नहीं जान पाते हैं कि कौन बोली लगा रहा है मगर विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि डिज्नी-स्टार, सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया और वायकॉम 18 ने भारतीय उपमहाद्वीप में खेले जाने वाले सभी आयोजनों के लिए टीवी अधिकार के लिए पहल की थी। भारतीय उपमहाद्वीप के डिजिटल अधिकारों के लिए जी डिज्नी प्लस हॉटस्टार और जियो के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही थी।
समझा जा रहा है कि प्रत्येक मैच के लिए टीवी अधिकार के लिए बोली ई-नीलामी के पहले दिन की समाप्ति पर 55 करोड़ रुपये पार कर गई है। यह रकम बीसीसीआई द्वारा तय 49 करोड़ रुपये आधार मूल्य से अधिक है। रविवार को नीलामी के अंत में डिजिटल अधिकारों के लिए बोली प्रति मैच करीब 50 करोड़ रुपये हो गई। सूत्रों के अनुसार बीसीसीआई ने इस मद में आरक्षित मूल्य प्रति मैच 33 करोड़ रुपये तय किया था जिसकी तुलना में अब तक आई बोली 50 प्रतिशत अधिक है।
पहले दिन नीलामी समाप्त होने के बाद प्रति मैच के आधार पर संयुक्त टीवी एवं डिजिटल अधिकारों का मूल्य 100 करोड़ रुपये को पार कर गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह 2018-22 के 54.5 करोड़ रुपये से कहीं अधिक है।
इलारा कैपिटल में वरिष्ठ उपाध्यक्ष करण तौरानी ने कहा, ‘हमारा मानना है प्रति मैच के आधार पर डिजिटल खंड भी टीवी के समकक्ष पहुंच जाएगा। मगर यह टीवी से अधिक नहीं होगा। इसकी वजह यह है कि अब भी अधिक से अधिक संख्या में लोग मैच देखते हैं इसलिए इस खंड को बड़ी एफएमसीजी कंपनियां विज्ञापनदाताओं के रूप में मिल जाती हैं। डिजिटल माध्यम तेजी से जरूर बढ़ रहा है मगर इतना फायदेमंद अभी भी नहीं हुआ है। भारत कीमतों को लेकर अधिक संवेदनशील बाजार है और अधिक कम अदा करने से पहले कंपनियां कई बार सोचती हैं इसलिए प्रति उपयोगकर्ता राजस्व के लिहाज से यह ठीक नहीं है।’