संकट से जूझ रही आवास वित्त कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन (डीएचएफएल) के लिए चार कंपनियों – अदाणी समूह, पीरामल समूह, अमेरिका की परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री कैपिटल और एसी लोवी ने बोलियां सौंपी हैं। ओकट्री कैपिटल ने पूरी कंपनी के लिए बोली लगाई है जबकि अन्य बोलीदाताओं ने चुनिंदा पोर्टफोलियो के लिए बोलियां लगाई हैं।
अदाणी समूह ने केवल निर्माण एवं वित्त तथा झुग्गी पुनर्वास ऋण पोर्टफोलियो (एसआरए) के लिए और पीरामल समूह ने रिटेल पोर्टफोलियो के लिए बोली लगाई है। एससी लोवी ने निर्माण वित्त कारोबार के लिए बोली लगाई है।
एसआरए पोर्टफोलियो के तहत मुंबई में झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण योजना के अंतर्गत विकास के लिए ऋण मुहैया कराया गया है। निर्माण परिसंपत्तियों की श्रेणी के तहत रियल एस्टेट डेवलपरों को बड़े शहरों में 15 परियोजनाओं के लिए ऋण दिया गया है, जो कंपनी की कुल लोन बुक का करीब 71 फीसदी है। बैंकिंग से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि चारों कंपनियों ने रियल एस्टेट क्षेत्र में नरमी और कोरोना महामारी को देखते हुए काफी कम की बोलियां लगाई हैं। सूत्रों ने कहा, ‘ओकट्री की बोली हैरान करने वाली रही जबकि अदाणी और पीरामल ने उम्मीद के अनुरूप बोली लगाई हैं।’
ग्रांट थोर्टन की रिपोर्ट में डीएचएफएल के खातों में 14,500 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का खुलासा करने की वजह से भी बोलीदाताओं ने कम की बोली लगाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी के थोक ऋण खाते में 9,320 करोड़ रुपये की गड़बड़ी है, वहीं एसआरए खाते में 1,707 करोड़ रुपये का नुकसान और रिटेल लोन बुक में 3,000 करोड़ रुपये की धनराशि की हेरफेर का पता चला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन ऋणों की वसूली पर भी संदेह है।
इस साल फरवरी में करीब दो दर्जन कंपनियों ने डीएचएफएल में दिलचस्पी दिखाई थी जिनमें एऑन कैपिटल, अदाणी कैपिटल, हरो फिरकॉर्प और केकेआर क्रेडिट एडवाइजर्स, ओकट्री, मॉर्गन स्टैनली, गोल्डमैन सैक्स समूह, डॉयचे बैंक, वारबर्ग पिनकस, एसएसजी कैपिटल, एडलवाइस, लोन स्टार और ब्लैकस्टोन शामिल हैं। भारतीय ऋणदाता, म्युचुअल फंडों और पेंशन फंडों का डीएचएफएल में करीब 88,000 करोड़ रुपये फंसा है। इनमें से भारतीय स्टेट बैंक का अंकेले 10,000 करोड़ रुपये फंसा है।
वित्त वर्ष 2020 की रिपोर्ट में ऑडिटर ने कहा था कि 49,585 करोड़ रुपये के कुल थोक ऋण पोर्टफोलियो का मूल्य 31 मार्च, 2020 तक 30,732 करोड़ रुपये है जिसमें 18,853 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया गया है। डीएचएफएल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा राष्ट्रीय कंपनी लॉ पंचाट में भेजी जानी वाली पहली कंपनी है। डीएचएफएल के प्रवर्तक धोखाधड़ी तथा धनशोधन मामले में सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और विभिन्न राज्यों की पुलिस की जांच का सामना कर रहे हैं।
