एचडीएफसी बैंक के खिलाफ अमेरिका की दो लॉ फर्मों द्वारा क्लास एक्शन सूट शुरू करने की खबरें आई हैं। द रोजेन लॉ फर्म और शाल लॉ फर्म ने कथित तौर पर बैंक के वाहन ऋण कारोबार में अनियमितताओं का आरोप लगाया है जिसके उजागर होने से निवेशक प्रभावित हुए हैं। जब इस मामले की जांच संबंधी खबरें आईं तो बैंक का शेयर लगभग 3 फीसदी लुढ़क गया। इस सूट के तहत निवेशकों को हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग की गई है। किसी एक मामले में कई लोगों द्वारा किए गए दावों को एकसाथ करने वाले मुकदमे को आमतौर पर क्लास एक्शन सूट कहा जाता है। एचडीएफसी बैंक एकमात्र ऐसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी नहीं है जिसके खिलाफ इस प्रकार की कानूनी कार्रवाई की गई है। सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर फार्मास्युटिकल्स तक विभिन्न क्षेत्र की कई कंपनियों को अलग-अलग समय में इसका सामना करना पड़ा है। इस प्रकार का मुकदमा दर्ज होने पर कम से कम तीन साल बाद कई अहम फैसले आए हैं।
सत्यम कम्प्यूटर:
सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के अमेरिकी निवेशकों ने 2009 में कंपनी के शेयर में भारी गिरावट के बाद एक लॉ सूट दायर किया था। कंपनी के संस्थापक रामलिंग राजू ने कथित तौर पर 1.5 अरब डॉलर की अधिक कमाई दिखाने की बात को स्वीकार किया था। इसके खुलासे के बाद जनवरी 2009 में मामले दर्ज किए गए। इस प्रकार के आरोपों के बाद महिंद्रा समूह ने कंपनी का अधिग्रहण कर लिया। कंपनी ने फरवरी 2011 में लेखा संबंधी धोखाधड़ी के मामलों को निपटाने के लिए 12.5 करोड़ डॉलर का भुगतान किया। इस रकम में कंपनी के पूर्व चेयरमैन रामलिंग राजू जैसे व्यक्तियों को कवर नहीं किया गया था। इस मामले में कई देशों के संस्थागत निवेशक शामिल थे। इन निवेशों में कथित तौर पर अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, नॉर्वे और डेनमार्क के लोग शामिल थे।
डॉ रेड्डीज लैब:
प्रमुख औषधि कंपनी डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के खिलाफ अगस्त 2017 में एक क्लास एक्शन सूट दायर किया गया था। उसमें दवा कंपनी पर अमेरिकी प्रतिभूति नियमों का उल्लंघन करने और 22 गलत अथवा भ्रामक बयान जारी करने का आरोप लगाया गया था। वे अमेरिकी औषधि नियामक के नियमों के अनुपालन, उसकी जांच, कंपनी द्वारा उपचारात्मक पहल और उत्पादन में देरी से संबंधित थे। ऑपरेटिव शिकायत मार्च 2018 में दर्ज की गई। कुछ आरोपों को मार्च 2019 मेंं अदालत के फैसले ने खत्म कर दिया। कंपनी ने मई 2020 में शेष मुकदमेबाजी को निपटाने की घोषणा की। उसने किसी भी आरोप को स्वीकार करने अथवा कुछ भी गलती करने से इनकार करते हुए 90 लाख डॉलर का भुगतान किया।
इन्फोसिस:
एक व्हिसलब्लोअर के पत्र ने इन्फोसिस में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया। इस मामले में निवेशकों ने क्लास एक्शन सूट दायर कर दिया। कंपनी द्वारा किए गए खुलासे के अनुसार, ‘न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले में दायर की गई शिकायत उन व्यक्तियों और कंपनियों की ओर से की गई थी जिन्होंने 7 जुलाई 2018 से 20 अक्टूबर 2019 के बीच कंपनी के शेयरों की खरीदारी की थी। शिकायत में अमेरिका के संघीय प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन के लिए दावे किए गए थे।’ कंपनी ने कहा कि मई 2020 में वह मुकदमा खारिज कर दिया गया।
टीसीएस:
टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज को अपने श्रमिकों की ओर से क्लास एक्शन सूट का सामना करना पड़ा था। कंपनी के पूर्व कर्मचारियों ने यह आरोप लगाया था कि कंपनी ने गैर-अमेरिकी कर्मचारियों को कर रिफंड कंपनी वापस करने के लिए मजबूर किया था। अप्रैल 2012 में इसे एक क्लास एक्शन सूट का दर्जा दिया गया था। कंपनी ने सभी आरोपों से इनकार किया था। कंपनी ने आरोपों को बिना स्वीकार अथवा इनकार करते हुए मामले को निपटाने के लिए करीब 2.97 करोड़ डॉलर का भुगतान किया। इसे 2013 में दायर किए जाने के बाद एक साल से भी कम समय में निपटा लिया गया।