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जीएम सरसों को मंजूरी देने में नियामकीय चूक

जीएईसी की मंजूरी में स्थापित नियामकीय मानकों के उल्लंघन का एक उदाहरण देते हुए संगठन ने कहा कि पैनल में कोई स्वास्थ्य विशेषज्ञ नहीं था, जिसने जीएम सरसों को पर्यावरण संबंधी मंजूरी दी है।

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संजीब मुखर्जी
Last Updated- January 06, 2023 | 10:57 PM IST
जीएम मुक्त भारत से जुड़े संगठन ने आज आरोप लगाया कि जीएम सरसों (डीएमएच-11) को पर्यावरण संबंधी मंजूरी देने में जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल समिति (जीईएसी) ने देश में स्थापित नियामकीय मानकों से कम से कम 15 बार समझौता किया है।
संगठन की कविता कुरुगंती ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए संवादताताओं से कहा, ‘यह मंजूरी भारत के सीमित जैव सुरक्षा नियमों की विफलता को दिखाती है। इसे नियामकीय व्यवस्था में गंभीर कमियों का पता चलता है। इसे मंजूरी देकर सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण की सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक विचारों को नियामकों व भारत सरकार ने गंभीर खतरे में डाल दिया है।’
रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की गई है, जब उच्चतम न्यायालय कुछ दिन बाद मामले की सुनवाई करने जा रहा है। जीएईसी की मंजूरी में स्थापित नियामकीय मानकों के उल्लंघन का एक उदाहरण देते हुए संगठन ने कहा कि पैनल में कोई स्वास्थ्य विशेषज्ञ नहीं था, जिसने जीएम सरसों को पर्यावरण संबंधी मंजूरी दी है।
इसके बावजूद जीएम सरसों को स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होने की मंजूरी दे दी है। इसकी जगह जीईएसी में ऐसे लोग हैं, जो इसके डेवलपर रहे हैं और जीएम फसलों की वकालत करते रहे हैं। कविता ने कहा, ‘साफतौर पर यह खिलाड़ी के ही अंपायर भी होने का मामला है।’
First Published : January 6, 2023 | 10:57 PM IST