बारिश की बेरुखी से कपास पर असर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 12:45 PM IST

कपास उत्पादन के लिए मशहूर देश का केंद्रीय इलाका फिलहाल अपर्याप्त बारिश से जूझ रहा है। इसके चलते गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में कपास की बुआई में लगभग एक पखवाड़े की देर हो चुकी है।


इन राज्यों के 70 फीसदी से अधिक इलाके में सूखे जैसी स्थिति बन चुकी है। कपड़ा उद्योग के मुताबिक, उनके लिए यह स्थिति बड़ी गंभीर है। उद्योग जगत का मानना है कि यदि यह स्थिति आगे तक जारी रही तो कपास के उत्पादन में खासी गिरावट आएगी।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल देश के कुल कपास उत्पादन में केंद्रीय इलाके का योगदान 60 फीसदी रहा था। जबकि दक्षिणी और उत्तरी इलाके की हिस्सेदारी क्रमश: 19 और 15 फीसदी रही। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस साल 18 जुलाई तक कपास के बुआई क्षेत्र में 17.88 फीसदी की कमी हो चुकी है। पिछले साल अब तक जहां 69.9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास बोया जा चुका था वहीं इस साल अब तक महज 58.1 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हो सकी है।

कपड़ा उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव जे. एन. सिंह के मुताबिक, बुआई से पहले काफी कम बारिश हुई है। सिंह के अनुसार, अगस्त के पहले हफ्ते तक पूरा परिदृश्य साफ हो सकेगा। उनके अनुसार, भले ही महाराष्ट्र में उत्पादन अच्छा न हो और गुजरात का भी काफी इलाका कम बारिश की चपेट में आ चुका है। इसके बावजूद गुजरात में कपास का उत्पादन पिछले साल से 5 से 10 फीसदी ज्यादा रहने की उम्मीद है। सिंह का कहना था कि इससे देश में कपास के उत्पादन पर पड़ने वाले नकारात्मक असर में थोड़ा सुधार होगा। सामान्यत: 10 जुलाई तक कपास की बुआई पूरी हो जाती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अभी से एक हफ्ते के भीतर भी बारिश हो गयी तो हालात में थोड़ा सुधार हो सकता है। कॉटन एसोसियशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष के. एफ. झुनझुनवाला ने कहा कि कपास सीजन की शुरुआत संतोषजनक नहीं है। देश के उत्तरी इलाकों जैसे हरियाणा,पंजाब और राजस्थान में इसकी बुआई हो चुकी है। लेकिन कपास उत्पादन के मुख्य इलाकों में ही दिक्कत है जहां अब तक कम बारिश के चलते बुआई रुकी हुई है।

उल्लेखनीय है कि देश में 2007-08 के दौरान 315 लाख बेल्स कपास का उत्पादन हुआ था। 2006-07 में 280 लाख बेल्स कपास पैदा किया गया था। अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार परिषद के अनुमान के मुताबिक, 2008-09 में भारत में 332 लाख बेल्स कपास पैदा होने का अनुमान है। सेंचुरी टेक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज के आर. के. डालमिया के मुताबिक, बुआई में एक पखवाड़े की देर होना गंभीर बात है।

First Published : July 22, 2008 | 10:33 PM IST