शाम के वक्त बिजली आपूर्ति की चुनौतियां
सौर ऊर्जा का दायरा बढ़ रहा है। लेकिन शाम को जब सूरज ढल जाता है तब सौर ऊर्जा के बड़े उपयोगकर्ता फिर से ग्रिड वाली बिजली की सेवाएं लेने लगते हैं। आर्थिक वृद्धि और मानव निर्मित संरचनाओं और बुनियादी ढांचे के समूह वाले निर्मित वातावरण में बदलाव के चलते शाम को वातानुकूलित साधनों की मांग […]
Opinion: फिनटेक क्रांति का लेखाजोखा
भारत में मौजूदा वित्तीय प्रणाली की कमजोरी को देखते हुए फिनटेक महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं। वित्त का काम जोखिम और समय से बेहतर तरीके से निपटने के लिए वास्तविक अर्थव्यवस्था की मदद करना है। भारत में वित्त सही रहे इसके लिए आवश्यकता इस बात की है कि भौगोलिक और वर्ग की विविधता के साथ रहने […]
Opinion: कहीं अत्यधिक आशावादी तो नहीं हैं बाजार?
फरवरी 2022 में अनिश्चितता तेजी से बढ़ी। फरवरी 2023 में इस समाचार पत्र में प्रकाशित मेरे स्तंभ का शीर्षक कह रहा था कि अनिश्चितता में निश्चित रूप से कमी आ रही है। उसके बाद वर्ष के दौरान कई सकारात्मक घटनाएं घटीं और शायद यही कारण है कि वित्तीय बाजार अति आशावाद के शिकार हैं। गत […]
Opinion: वैश्विक व्यापार और एफडीआई के पुनर्गठन की प्रक्रिया
‘दूसरे वैश्वीकरण’ की विशेषताओं में एक थी विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए अपनी परिधि में बिना शर्त अबाध पहुंच, जो विश्व अर्थव्यवस्था के मूल में है। ‘तीसरा वैश्वीकरण’ इस पहुंच को विदेशी नीत और सैन्य सुसंगतता के क्षेत्र में अधिक सशर्त बनाता है। नए आंकड़े दिखाते हैं कि तीसरा वैश्वीकरण इतने बड़े पैमाने पर है कि […]
Opinion: घरेलू से वैश्विक परिसंपत्ति मूल्य निर्धारण तक की राह
सभी अर्थव्यवस्थाओं में अगर कोई चीज निशुल्क है तो वह है पोर्टफोलियो में विविधता लाना। जब भी कोई पोर्टफोलियो किसी एक उद्योग के अंतर्गत ही एक कंपनी से कई कंपनियों में जाता है तो जोखिम में कमी आती है। आखिर में जब संपत्ति कई देशों में बंटी होती है तो जोखिम में अच्छी खासी कमी […]
प्रौद्योगिकी के साथ नया आकार लेता वित्तीय क्षेत्र
विकसित देशों में बैंकिंग व्यवस्था बदल रही है। सबसे पहले वहां ‘फिनटेक क्रांति’ आई। इसके पीछे विचार यह था कि पहले जो काम पारंपरिक रूप से बैंकों द्वारा किए जाते थे उन्हें नई तरह की कंपनियों के द्वारा अंजाम दिया जाए। अब हमने देखा कि इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के जरिये बैंकों की देनदारियों की स्थिरता का […]
वित्तीय बाजारों में आतंकियों के लिए मुनाफे की स्थिति!
दो अगस्त, 1990 को जब सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर आक्रमण किया था तब कच्चे तेल की कीमत बहुत कम समय में करीब 40 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी। उस समय ऐसी अफवाहें थीं कि इराकी सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े कुछ लोगों ने समय से पहले ही […]
विमानन उपभोक्ताओं के साथ पारदर्शिता
योजनाबद्ध सोच राज्य की शक्ति के उपयोग में हमें उचित मार्ग दिखा सकती है। बता रहे हैं अजय शाह विमानन उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था के एक महत्त्वपूर्ण नए खंड के रूप में उभरा है। बाजार विफलता का संकल्पनात्मक ढांचा और निम्नतम लागत के उपाय हमें नीतिगत समस्याओं एवं उनके समाधान की दिशा में सोचने के लिए […]
सप्ताह में ज्यादा घंटों तक काम करने का प्रभाव
नारायण मूर्ति उस समय सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने युवाओं से सप्ताह में 70 घंटे काम करने की मांग कर दी। गहनता से काम करने के बहुत फायदे होते हैं। सामूहिक संस्कृति में मौज मस्ती शामिल होती है, काम और जीवन के बीच संतुलन कायम होता है और उसमें ऐसा समय भी शामिल होता […]
Opinion: कैसे दूर हो रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र के अंतराल की समस्या
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की एक समस्या यह है कि इससे होने वाले विद्युत उत्पादन में तयशुदा अंतराल अवश्यंभावी है। इस संबंध में बता रहे हैं अजय शाह और अक्षय जेटली हर कारोबार में उत्पादन, परिवहन, भंडारण और खुदरा कारोबार की एक खाद्य श्रृंखला होती है। कुछ लोग टमाटर उगाते हैं। कुछ लोग ठंडा रखने की […]