इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ईसीयू) के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले प्रमुख कम्पोनेंट सेमीकंडक्टर (माइक्रो प्रोसेसर) की वैश्विक किल्लत से भारत में वाहन कंपनियों में उत्पादन प्रभावित हो सकता है। यह स्थिति ऐसे समय में पैदा हुई है जब दुनिया के पांचवें सबसे बड़े वाहन बाजार में मांग सुधार के शुरुआती चरण में है। कोविड-19 महामारी की वजह से पैदा हुई लॉकडाउन की स्थिति के बाद मांग में अब धीरे धीरे सुधार आ रहा है।
डिस्क्रेशनरी उत्पादों (इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल्स) के लिए मांग में तेज सुधार के बाद, सेमी-कंडक्टर की आपूर्ति के मुकाबले मांग बढ़ गई है जिससे बाजार में किल्लत को बढ़ावा मिल रहा है। इसके परिणामस्वरूप, जहां भारत में कुछ वाहन निर्माता आपूर्ति में इजाफा देख रहे हैं, वहीं अन्य संभावित दबाव को लेकर सतर्क बने हुए हैं। उदाहरण के लिए, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एमऐंडएम) को कंपनी के वाहन क्षेत्र की बिक्री प्रभावित होने की आशंका है, क्योंकि बॉश को भी आपूर्ति किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। महिंद्रा ने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘वाहन क्षेत्र में कंपनी का परिचालन माइक्रो-प्रोसेसर की वैश्विक आपूर्ति किल्लत की वजह से प्रभावित होगा। इन माइक्रो-प्रोसेसर का इस्तेमाल उन ईसीयू में होता है जिनकी आपूर्ति बॉश द्वारा की जाती है।’
इसमें कहा गया है कि इसकी वजह से वित्त वर्ष 2021 की आखिरी तिमाही में उत्पादन/बिक्री में कमी आने की आशंका है। एमऐंडएम संभावित उत्पादन नुकसान का आकलन कर रही है और इसका प्रभाव कम करने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत होगी।
दोपहिया कंपनियों पर भी कुछ प्रभाव दिखना शुरू हो गया है। बजाज ऑटो के कार्यकारी निदेशक राकेश शर्मा ने कहा कि भले ही सका 95 प्रतिशत उत्पादन प्रभावित नहीं हुआ है, क्योंकि अक्टूबर से कंपनी लंबे लीड टाइम्स का लाभ उठा रही है। कुछ हाई-ऐंड मॉडलों के लिए आपूर्ति परिवेश को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है।
शर्मा ने कहा, ‘उम्मीद है कि दबी हुई मांग सामने आएगी और अगले तीन से चार महीनों में सामान्य स्थिति बहाल होगी, लेकिन तब तक दबाव कम करने के लिए मजबूत प्रबंधन की कोशिश बरकरार रहेगी।’ बजाज ऑटो इलेक्ट्रॉनिक कच्चे माल का प्रत्यक्ष रूप से आयात नहीं करती है। इसका आयात कंपनी के टियर-1 आपूर्तिकर्ताओं के जरिये होता है।
भारत में बॉश और कंटीनेंटल वाहन निर्माताओं के लिए ईसीयू की सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता हैं। ईसीयू एक ऐसा सिस्टम है जो वाहन में इलेक्ट्रिकल सब-सिस्टम्स को नियंत्रित करता है।
वैरॉक इंजीनियरिंग और मिंडा इंडस्ट्रीज उन अन्य टियर-1 आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हैं जो वाहन निर्माताओं के लिए स्थानीय तौर पर निर्मित किए जाने वाले विभिन्न इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रिकल कलपुर्जों के लिए सेमीकंडक्टर का आयात करते हैं। ये आपूर्तिकर्ता जिन देशों से सेमीकंडक्टर का आयात करते हैं, उनमें मुख्य रूप से चीन, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, ताइवान, फिलीपींस, बेल्जियम, जर्मनी शामिल हैं।
आईएचएस मार्किट के सहायक निदेशक पुनीत गुप्ता का कहना है कि डीजल-केंद्रित पोर्टफोलियो के साथ वाहन निर्माताओं पर बड़ा प्रभाव प्रडऩे की आशंका है। उन्होंने कहा, ‘बीएस-4 से बीएस-6 में परिवर्तन की प्रक्रिया के लिए संक्षिप्त विकास चक्र की वजह से, वे चीन, कोरिया और अन्य देशों से अप्रत्यक्ष आयात (आपूर्तिकर्ताओं के जरिये) पर निर्भर थे’
महिंद्रा के अलावा, टाटा मोटर्स भी ऐसी कंपनी है जिसका डीजल-केंद्रित पोर्टफोलियो है। बीएस-6 में तब्दील होने से पहले कई अन्य कार निर्माता डीजल प्रौद्योगिकी से दूर बने हुए हैं। कंपनी के एक अधिकारी ने बयान में कहा, ‘आपूर्ति शृंखला में कोविड संबंधित कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं, जिनमें वैश्विक तौर पर पूरे वाहन उद्योग की इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणालियां शामिल हैं। मौजूदा आपूर्ति दबाव के हालात में हमें अपने सीवी व्यवसाय में दबाव पैदा होने की आशंका दिख रही है। हम आगामी प्रभाव कम करने और बाजार मांग बढ़ाने के लिए अपने आपूर्ति शृंखला भागीदारों के साथ सक्रियता से काम कर रहे हैं।’