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सस्ता DNA अनुक्रमण फायदेमंद, डेटा सही से संरक्षित करने की जरूरत

पिछले हफ्ते ब्रिटेन के एक बच्चे टेडी शॉ की जान उसके ‘डीएनए कोड’ पर गौर करके बचाई गई

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माहीन फ़ारूक़ी
Last Updated- February 27, 2023 | 1:02 PM IST

सस्ते डीएनए अनुक्रमण से स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे हैं, लेकिन इसके डेटा को सही तरीके से संरक्षित करने की जरूरत है। ब्रिटेन में वैज्ञानिक फ्रांसिस क्रिक और जेम्स वॉटसन ने 70 साल पहले इसी सप्ताह कैम्ब्रिज के एक पब में अपने दोस्तों और सहकर्मियों से कहा था कि उन्होंने ‘‘जीवन का रहस्य खोज’’ लिया है।

उन्होंने अपने अध्ययन ‘द शेप ऑफ द डीएनए मॉलिक्यूल एंड द वे इट कोड्स इंफॉर्मेशन’ को कुछ महीनों बाद औपचारिक रूप से प्रकाशित किया था। डीएनए (डीऑक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) को लेकर उस दिन से ही कई अध्ययन किए जा रहे हैं। पिछले हफ्ते ब्रिटेन के एक बच्चे टेडी शॉ की जान उसके ‘डीएनए कोड’ पर गौर करके बचाई गई।

‘डीएनए कोड’ पर गौर करने की प्रक्रिया को अनुक्रमण कहा जाता है। यह अब बेहद सस्ता और व्यापक रूप से उपलब्ध है, जिसने वैज्ञानिकों व नैतिकतावादियों के समक्ष कई चुनौतीपूर्ण सवाल खड़ कर दिए हैं। सस्ता अनुक्रमण नवजात शिशुओं में मेटैक्रोमैटिक ल्यूकोडीपीथी (एमएलडी) जैसे आनुवंशिक विकार का पता लगाने में मदद कर रहा है।

टेडी भी इसी से पीड़ित था और उसकी जान बचा ली गई। एमएलडी को एक दुर्लभ बीमारी माना जाता है, जो संभवत: 1,60,000 बच्चों में से किसी एक को प्रभावित करती है। ऑस्ट्रेलिया के पर्थ चिल्ड्रन अस्पताल में ‘रेअर केयर सेंटर’ के ग्रेथ बनयाम ने कहा, ‘‘करीब 7,000 अलग-अलग दुर्लभ बीमारियां मिलकर मधुमेह की तुलना में कहीं अधिक लोगों को प्रभावित कर रही हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘डीएनए स्क्रीनिंग व प्रोफाइलिंग की लागत में कमी… ऐसी दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियों का पता लगाने और उनका इलाज करने के तरीके में क्रांति ला सकती है, जिनकी पहचान और उपचार मुश्किल होता है।’’

‘मर्डोक चिल्ड्रन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ और ‘यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न’ की डान्या वेयर्स ने कहा, ‘‘नवजात की जांच में जीनोमिक अनुक्रमण को शामिल करने का यह मतलब होगा कि जिन बच्चों में आगे चलकर गंभीर विकार उभर सकते हैं, उनका पहले ही पता लगाया जा सकेगा।’’ हालांकि, वेयर्स ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘जीनोमिक न्यूबॉर्न स्क्रीनिंग डेटा को संग्रहीत करने और उसका फिर से विश्लेषण करने को लेकर कई सवाल हैं।’’

यूएनएसडल्ब्यू सिडनी की जैकी लीच स्कली ने कहा कि इन सवालों में भेदभाव भी शामिल है। उन्होंने आगाह किया, ‘‘अनुवांशिक बदलाव से शरीर और व्यवहार में अंतर, चाहे वह कितना भी मामूली हो, कई बार अवांछित माना जा सकता है।’’ कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय में सेंटर ऑफ जीनोमिक्स एंड पॉलिसी के अनुसंधान निदेशक यान जोली के अनुसार, आनुवंशिक भेदभाव पहले भी था और आगे भी इससे निपटने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि दुनियाभर में आनुवंशिक भेदभाव की पहचान करने और उसे रोकने के लिए 2018 में एक अंतरराष्ट्रीय आनुवंशिक भेदभाव वेधशाला की स्थापना भी की गई थी।

First Published : February 27, 2023 | 12:52 PM IST