प्रतीकात्मक तस्वीर
कैलेंडर वर्ष 2025 के पहले दो महीनों में 32 फीसदी तक गिरने के बाद वरुण बेवरिजेज लिमिटेड (वीबीएल) के शेयर ने मार्च में शानदार तेजी दर्ज की। मार्च में इस शेयर में करीब 24 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। शेयर में गिरावट प्रतिस्पर्धा और भारतीय व्यवसाय में धीमी बिक्री वृद्धि से जुड़ी चिंताओं की वजह से आई थी। यह शेयर आज बीएसई पर मामूली नुकसान के साथ 539 के आसपास लगभग सपाट बंद हुआ।
हालांकि, बाजार का मानना है कि काफी गिरावट आ चुकी है और कंपनी के पास भारतीय और अफ्रीकी, दोनों ही बाजारों में वृद्धि के कई अवसर हैं। गर्मियों की शुरुआत के साथ अल्पावधि में बिक्री बढ़ सकती है जो पेप्सी की बॉटलिंग और वितरण कंपनी के लिए बेहद व्यस्त अवधि होती है।
इस शेयर के लिए मुख्य चिंता रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (आरसीपीएल) की ओर से मार्च 2023 में दुबारा उतारी गई कैम्पा कोला है। जेएम फाइनैंशियल रिसर्च के अनुसार रिलांयस की इस कंपनी के 2024-25 में 1,000 करोड़ रुपये का बिक्री आंकड़ा पार कर जाने की संभावना है। यह 7 करोड़ क्रेट (केसेज) और निचले एक अंक में बाजार भागीदारी बताता है। भारत का संपूर्ण बाजार 2.4 अरब पेटियों (क्रेट) का है जिस पर कोका-कोला और पेप्सिको का दबदबा है और इनकी संयुक्त भागीदारी 80-85 फीसदी है।
इलारा कैपिटल का मानना है कि जहां कैम्पा मौजूदगी बढ़ा रही है वहीं यह उसकी खास तौर पर 10 रुपये (200 एमएल) पेशकश तक ही सीमित है। ब्रोकरेज के विश्लेषक अमित पुरोहित का कहना है कि अल्पावधि में प्रभाव पेप्सी और कोका-कोला जैसे मौजूदा ब्रांडों की तुलना में स्थानीय/क्षेत्रीय ब्रांडों पर अधिक पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कैम्पा की आक्रामकता (खास तौर पर ऑरेंज और कोला फ्लेवर में) प्रमुख इलाकों में महत्वपूर्ण है, लेकिन इसकी दीर्घावधि सफलता क्रियान्वयन पर निर्भर करती है जो एक चुनौती है। वरुण बेवरेज के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा माउंटेन ड्यू और स्टिंग जैसे ब्रांडों से आता है, जिन पर कैम्पा का असर नहीं दिखता है।
जेएम फाइनैंशियल रिसर्च के अनुसार कैम्पा ने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया है। कंपनी की रणनीति यह है कि आक्रामक कीमतों के जरिए ऐसे आम उपभोक्ताओं पर ध्यान दिया जाए जो दाम को लेकर संवेदनशील हैं तथा ब्रांड के प्रति कम वफादार हैं।
ब्रोकरेज के विश्लेषक मेहुल देसाई का मानना है कि बिक्री काफी हद तक छोटी स्टॉक कीपिंग यूनिट (एसकेयू) और आउट-ऑफ-होम कंजम्पशन से जुड़ी है जिनकी कीमत के प्रति -संवेदनशीलता ज्यादा है, न कि ब्रांड के प्रति वफादारी। इसमें पेप्सिको/कोका कोला की कोई पेशकश नहीं है। उनका कहना है कि बड़े एसकेयू (750एमएल/2.25 लीटर) में पेप्सिको/कोका-कोला की स्थिति मजबूत बनी हुई है।