Categories: बाजार

बढ़ते डिफॉल्ट से डेट फंड बने निवेश के सुरक्षित ठिकाने

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:11 AM IST

इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज (आईएलऐंडएफएस) के 99,000 करोड़ रुपये के डिफॉल्ट के बाद के पिछले 22 महीने में डेट फंड मैनेजर निवेशकों के लिए उच्च रिटर्न अर्जित कर रहे हैं क्योंंकि क्रेडिट रिस्क में काफी कमी आई है।
म्युचुअल फंड उद्योग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि वे काफी ज्यादा रकम सुरक्षित प्रतिभूतियों मसलन सरकारी प्रतिभूति, पीएसयू डेट, ट्रेजरी बिल आदि में निवेश कर रहे हैं। उदाहरण के लिए सरकारी प्रतिभूतियों, पीएसयू डेट और ट्रेजरी बिल में उद्योग का कुल आवंटन अगस्त 2018 में 17.4 फीसदी था जबकि जून 2020 के आखिर में यह दोगुने से ज्यादा बढ़कर 37.3 फीसदी पर पहुंच गया। आंकड़े यह भी बताते हैं कि इस अवधि में डेट फंड उद्योग की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां एक फीसदी से भी कम बढ़कर 14.75 लाख करोड़ रुपये से 14.87 लाख करोड़ रुपये पहुंच पाई।
कोटक म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने कहा, म्युचुअल फंड उद्योग का निवेश अब अच्छी गुणवत्ता वाली परिसंपत्तियों की ओर शिफ्ट हो गया है। पोर्टफोलियो की क्रेडिट गुणवत्ता सॉवरिन व पीएसयू रिस्क की ओर बढ़ी है, लिहाजा प्रतिफल भी उसी हिसाब से घटा है।
सितंबर 2018 के बाद से डेट फंड उद्योग भारी दबाव में आ गया जब कंपनियों ने लगातार डिफॉल्ट करना शुरू किया। इसकी शुरुआत आईएलऐंडएफएस से हुई जब मूल कंपनी ने सिडबी के 1,000 करोड़ रुपये के अल्पावधि वाले कर्ज भुगतान में चूक की और दीवान हाउसिंग फाइनैंस, एस्सेल समूह, येस बैंक और अन्य के जरिये यह जारी रहा।
डिफॉल्ट के बढ़ते मामलों ने उम्दा डेट फंड मैनेजर सुरक्षात्मक दांव लगाने के लिए बाध्य हुए। इस लिहाज से वे एनबीएफसी की प्रतिभूतियों से खास तौर से दूर हुए। एनबीएफसी की वाणिज्यिक प्रतिभूतियों में निवेश करीब एक तिहाई घटकर 9.78 फीसदी से 3.65 फीसदी रह गई। यहां तक कि एनबीएफसी के कॉरपोरेट डेट में भी उनका आवंटन 7.08 फीसदी से घटकर 5.62 फीसदी रह गया।
एक फंड मैनेजर ने कहा, छोटी व मझोली एनबीएफसी के लिए हालात और खराब रहे हैं। चीजें और खराब हुईं जब कई एनबीएफसी ग्राहकों ने कर्ज चुकाने में मोहलत की मांग की और वे आक्रामकता के साथ फंड जुटाने में अक्षम रहे। ऐसे में फंड मैनेजर उन्हें उधार देने के मामले में और सतर्क हो गए।
30,000 करोड़ रुपये की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों वाली फ्रैंकलिन टेम्पलटन की छह योजनाओं के बंद होने से निवेशकों की अवधारणा पर चोट पड़ी। इससे 3.10 लाख निवेशक प्रभावित हुए, जिनमें 3 लाख खुदरा व धनाढ्य निवेशक शामिल हैं। वोडाफोन आइडिया की तरफ से 2,850 करोड़ रुपये मूलधन व ब्याज उसके बॉन्डधारकों को चुकाए जाने के बाद कुछ निवेशकों को रकम मिली, लेकिन उनका ज्यादातर निवेश अभी भी फंसा हुआ है।

First Published : July 28, 2020 | 12:25 AM IST