बजट 2008-09 से लेकर अभी तक वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का रहम दिल लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
29 फरवरी को चुनावों से पहले के बजट में वित्त मंत्री ने किसानों को 60 हजार करोड़ रुपये के पैकेज का तोहफा दे कर उन्हें खुश कर दिया। भारतीय मध्यम वर्ग को मिल रही आयकर में मूल कटौती को बढ़ाकर, उनकी झोली में भी तोहफे डाल दिए।
इतना ही नहीं अब वित्त मंत्री ने छठे वेतन आयोग की सरकारी कर्मचारियों के लिए पेश की गई सिफारिशों को भी तुरंत लागू कर दिया, जिसके चलते सभी लोग काफी खुश हैं। इसके चलते एक केन्द्रीय सचिव जिसकी तनख्वाब पहले 65 हजार रुपये प्रति माह थी, अब उसकी तनख्वाह 90 हजार रुपये प्रति माह होगी। इसी के साथ सभी सरकारी कर्मचारियों को जनवरी 2006 से जुड़ता एरियर दिया जाएगा और जल्द ही उनके बैंक खाते में एक बड़ी रकम जमा हो जाएगी। इस सब के बावजूद अब उनकी व्यय योग्य आय असल में बढ़ जाएगी।
अगर आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो वह कुछ इस तरह से होंगे। सरकारी कर्मचारी जो सबसे निचले ग्रेड के तहत आता है उसे भी वेतन में वृध्दि के अलावा एरियर्स के रूप में 50 हजार रुपये मिलेंगे और सबसे उच्च ग्रेड के अधिकारी को लगभग 8 लाख रुपये से भी अधिक एरियर्स के रूप में प्राप्त होंगे। वेतन आयोग की सिफारिशें एक साथ लगभग 5 लाख केन्द्र सरकारी कर्मचारियों को प्रभावित करती हैं, जिनमें रेल और रक्षा शामिल हैं।
राज्य सरकारें भी कुछ समय के बाद इन सिफारिशों पर काम करेंगी।हाथ में इतने पैसे के साथ, सरकारी कर्मचारी करेंगे तो क्या? वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि वेतनमान में हुए इन बदलावों के साथ अब लोगों को एक मौका मिला है कि वे अपनी निवेश योजनाओं में आए अंतर को भर सकें।
प्रमाणित वित्त योजनाकार जनखाना शाह का कहना है, ‘मेरा अनुभव कहता है कि अधिकतर सरकारी कर्मचारी अपने वेतन का लगभग 15 प्रतिशत बचत में डालते हैं, जिसमें भविष्य निधि में निवेश करना शामिल है। परिणामस्वरूप, ये लोग अपनी सेवानिवृत्ति के लिए बचत करना भूल जाते हैं।’ शाह आगे कहते हैं कि यह भी एक वजह है, पेंशन प्राप्त करने वाले सेवानिवृत्ति के बाद पहले जैसा जीवन नहीं बिता पाते।
कम आय और पेंशन के चलते सरकारी कर्मचारी नौकरी के बाद अपने गांव और कस्बों का रुख कर लेते हैं, जहां रहन-सहन सस्ता है।इससे कोई मतलब नहीं है कि आप किस वेतनमान ढांचा के तहत आते हैं, यहां कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं, जिन्हें आपको अपनी व्यय योग्य आय में से निवेश और खर्च करने से पहले ध्यान में रखना चाहिए।
कर्ज मुक्त, तनाव मुक्त
इससे पहले कि आप अपने पैसे को कहीं और लगाएं, आपको सबसे पहले अपने कर्ज चुकाने चाहिए। और यह कुछ इस तरह होना चाहिए, क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान, क्योंकि कंपनी बहुत ज्यादा (35 प्रतिशत से भी अधिक प्रति वर्ष तक) ब्याज लेती है। उसके बाद अगर आपने कोई पर्सनल लोन लिया हुआ है तो उसका भुगतान करें (ब्याज दर 16 प्रतिशत प्रति वर्ष से भी अधिक)।
साथ ही अगर होम लोन लिया है तो उसके एक हिस्से का भुगतान करने के बारे में सोचें, क्योंकि पिछले दो सालों से ब्याज दर के बहुत अधिक होने के चलते मासिक किस्त भी बहुत अधिक होने लगी है। लेकिन एक साथ होम लोन का भुगतान करना उचित नहीं होगा, क्योंकि होम लोन पर आपको ब्याज और मूल रकम चुकाने पर कर में कुछ लाभ मिलते हैं।
हिंतांगशु देबनाथ, वित्त योजनाकार का कहना है, ‘इस समय जब ब्याज दर बहुत ऊंची हैं, तब ऋणों का भुगतान करने के लिए यह समय उचित है। साथ ही कम कर्जों के साथ आप जल्दी अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।’
जरूरत के लिए पैसा
इस रकम का कुछ हिस्सा बैंक खाते या फिर किसी अन्य जगह रखें, जहां से इस पैसे को जल्दी से निकाला जा सके। इस तरह का कोष आपको जरूरत (वित्तीय जरूरत) के समय काम आएगा। इसमें प्राकृति आपदा के चलते नौकरी छूट जाना भी शामिल है। आपको इसमें 6 महीने से 1 साल तक के वेतन के बराबर की रकम जमा करनी चाहिए। मुंबई के एक प्रमाणित वित्त योजनाकार का कहना है, ‘आकस्मिक कोष उन चीजों के लिए रखा जा सकता है, जिनका बीमा नहीं हो सकता।’
जब सताए स्वास्थ की चिंता
सरकार यूं तो अपने सभी कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा करवाती है, लेकिन अगर आपको लगता है कि आपके लिए स्वास्थ्य बीमा ही काफी नहीं है, तो आप एक अतिरिक्त पॉलिसी ले सकते हैं। एक अतिरिक्तत पॉलिसी इसलिए भी जरूरी है जब बीमा पर दावा पेश करने के बाद पैसे मिलने में अधिक समय लग जाए। आखिर यही तो है सरकारी महकमों की चाल।
जीवन बीमा
घर के सभी कमाऊ सदस्यों का जीवन बीमा होना जरूरी है। अभी बीमा पॉलिसी लें अगर घर के किसी भी सदस्य ने बीमा नहीं करवाया हो। देबनाथ का कहना है, ‘इस समय बीमा पॉलिसी लेते समय यूलिप को भुला कर सीधा-सीधा मेडीक्लेम लेना चाहिए।’
परिसंपत्ति के लिए निवेश
आप अपनी बची हुई रकम को अपनी वित्तीय जरूरतों के अनुसार संपत्ति बनाने में लगा सकते हैं। अगर आप किसी एक वित्तीय लक्ष्य के लिए बचत कर रहे हैं जो 2-3 वर्षों के समय में पूरा होने वाला हो, तब आप डेट (उदाहरण के लिए सावधि जमाफिक्स्ड डिपोजिट )में निवेश कर सकते हैं।
सेवानिवृत्ति के लिए सोचें
चूंकि सरकार नौकरी के बाद पेंशन की सुविधा देती है, इसलिए कर्मचारी सेवानिवृत्ति के लिए योजना बनाते ही नहीं हैं। ट्रांसेंड इंडिया के निदेशक, कार्तिक झावेरी का कहना है, ‘ये लोग महंगाई के बारे में कभी सोचते ही नहीं हैं। सेवानिवृत्ति के लिए तय राशि को लक्षित राशि से अधिक होना चाहिए, क्योंकि निवेश में इसका काफी हिस्सा तो महंगाई निगल जाती है। जब दिन-प्रतिदिन में काम आने वाली वस्तुओं के दाम बढ़ जाते हैं तब यह जमा की गई राशि कम लगने लगती है।’
निवेश की आदत डालें
शेयर बाजार में चाहें तो प्रत्यक्ष और चाहें तो म्युचुअल फंड के जरिये निवेश करें। यह एक और रास्ता है, जिससे अतिरिक्त पैसे का इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही इस पैसे से आप निवेश की आदत भी डाल सकते हैं।
शाह का कहना है, ‘और अगर कभी आपका निवेशित पैसा खरीद के मूल्य से नीचे चला भी जाए, तब भी आप बाजार चक्र के तहत कुछ समय ठहर कर मूल्य के ऊपर जाने का इंतजार कर सकते हैं।’ आप कोई भी निर्णय लें, उससे पहले बहुत सोच-विचार कर लें।?किसी निवेश या व्यय से पहले भली-भांति अपने लक्ष्य को समझ लें, ताकि बाद में पछताना न पड़े।