मैंने सरदार सरोवर नर्मदा निगम में जनवरी 1994 में डीप डिस्काउंट बॉन्ड्स (डीडीबी) में 3,600 रुपये निवेश किए थे।
ये योजना इस वर्ष परिपक्व होने वाली है और मुझे लगभग 50 हजार रुपये मिलने वाले हैं। इसके साथ ही लगभग 46,400 रुपये का लाभ होने वाला है। इस पैसे पर आय पर ब्याज के रूप में या फिर पूंजी लाभ, दोनों में से किसके तहत कर लगाया जाएगा? – सुरेश शाह, मुंबई
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल ही में यह स्पष्ट किया है कि डीप डिस्काउंट बॉन्ड्स में निवेश की गई वास्तविक राशि और परिपक्व होने पर मिलने वाली राशि के बीच अंतर को ब्याज के रूप में मिलने वाली राशि के तहत माना जाता है। जिस वर्ष में यह योजना पूरी होगी है इसकी गणना उसी वर्ष में की जाती है और यह आय पूंजी लाभ के तहत नहीं आती। बॉन्ड जारीकर्ता (सरदार सरोवर) खुद-ब-खुद ब्याज आय से आय कर घटा कर योजना पूरे होने के बाद आपको पैसा देगा। जब भी आप उस साल के लिए आयकर रिटर्न जमा करा रहे हों, तब उसकी गणना में जारीकर्ता की ओर से कर में कटौती का दावा आप कर सकते हैं।
अगर मैं एक फ्लैट खरीदता हूं और अपनी पत्नी को उसका संयुक्त धारक बनाता हूं तो क्या यह माना जाता है कि हम दोनों ही उसके स्वामी होंगे? जबकि मैंने इस फ्लैट का पूरा भुगतान किया है, फिर भी मैं सुरक्षा के मद्देनजर उनका नाम शामिल कराना चाहता हूं, ताकि भविष्य में मेरे साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो फ्लैट उनके नाम पर रहे। – जॉन ब्रेगैंजा, मुंबई
साधारण नियम के तहत, जब भी कोई संपत्ति दो या अधिक नामों से खरीदी जाती है और उस संपत्ति में किसका कितना हिस्सा है यह भी बताया नहीं जाता, तो माना जाता है कि दिए गए नाम वाले व्यक्तियों ने बराबर-बराबर संपत्ति खरीदी है। बाद में यह पचड़ा न हो, इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि आप खरीद के कागजों पर लिखवाएं कि फ्लैट की खरीद में आपने पूरा भुगतान किया है और सिर्फ सहूलियत के लिए आपने अपनी पत्नी का शामिल कराया है।
मैं प्रवासी भारतीय हूं और अमेरिका का नागरिक हूं। मैंने अपने प्रवासी सामान्य रुपया (एनआरओ) खाता में जमा किए पैसों से एक फ्लैट खरीदा था। यह पैसा मैंने कुछ वर्ष पहले भारत में कमाया था। क्या मुझे यह फ्लैट बेचने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से इजाजत लेनी होगी? इस फ्लैट का खरीददार सौदे के समय ही खरीद के पैसों में से कर की कटौती की बात कर रहा है। इसका क्या हल है? – सुखविंदर सिंह, (ई-मेल द्वारा)
आपको फ्लैट बेचने के लिए आरबीआई से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आप भारतीय मूल के हैं, फिर बेशक अब आप भारत के नागरिक नहीं हैं। चूंकि आप एक प्रवासी हैं, खरीददार को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 195 के तहत कर खरीद पर ही लगाना होगा। इससे बचा जा सकता है अगर आप आय कर विभाग से आयकर में गैर-कटौती या फिर आयकर में न्यून दर से कटौती प्रमाणपत्र हासिल कर लेते हैं।
इस प्रमाणपत्र को प्राप्त करने के लिए आपको आयकर विभाग के बताए गए फॉर्मेट पर आयकर अधिकारी को आवेदन पत्र देना होगा। आयकर अधिकारी को दिए गए इस आवेदन के लिए आपको उन्हें कारण बताना होगा और उसे उचित भी साबित करना होगा। उदाहरण के लिए आपको प्रमाणपत्र मिल सकता है अगर आप बिक्री से हुई आय को रिहायशी घर की खरीद और या पूंजी लाभ बॉन्ड में निवेश करने का प्रस्ताव रखें तो।