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मिलेगा कर्ज का घी, और सुनहरे मौके भी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 4:03 PM IST

गुजरे साल में पाई-पाई को तरसते रहे छोटे और मझोले उद्योगपतियों की झोली में 2009 काफी माल डाल सकता है, अब चाहे वह कर्ज ही हो।


वह यूं कि एक तरफ  तो रिजर्व बैंक ने रोजगार में इस क्षेत्र के महत्व को देखते हुए खजाना खोल दिया है। तो दूसरी तरफ बैंकों ने भी सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों की अहमियत को समझते हुए सस्ता और सुलभ कर्ज मुहैया कराने की ठान ली है।

मिसाल के तौर पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, जो अब तक अपने कुल कर्ज का 16 प्रतिशत एसएमई को देता है, उसने अब इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का फैसला किया है।

बैंक के महाप्रबंधक एस.एस. घुग्रे ने कहा, ‘हमने अपने कुल दिए गए कर्ज 85,506 करोड़ रुपये में से 13,884 करोड़ रुपये एमएसएमई को दिया है, जो कुल कर्ज के  16 प्रतिशत से ज्यादा है।’ यही नहीं, नए साल में इनके खुश होने की और भी कई वजहें हैं।

वह इसलिए कि यूरोप और अमेरिका में भले ही इनका निर्यात प्रभावित हो रहा हो, लेकिन कैरेबियाई देशों और अन्य विकासशील देशों में संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं। यानी, जरूरत है अब सिर्फ समय की नब्ज समझकर कारोबार करने की।

उद्योग से जुड़े लोगों का भी मानना है कि वर्ष 2009 में उद्योग जगत में स्थिरता आएगी और सरकार की सकारात्मक कोशिशें रंग लाएंगी।

इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष और एमआर इंजीनियरिंग वर्क्स, सहारनपुर के प्रमुख प्रवीण सडाना कहते हैं कि 8 दिसंबर को प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक से ढेरों उम्मीदें हैं।

सरकार ने 13 में से 10 मांगें मान ली हैं, जिसमें कर्ज की ब्याज दरें कम करना भी शामिल है। कारोबारियों को खुला मौका है कि वे कैरेबियाई देशों में अपने उत्पादों का निर्यात कर सकते हैं।

त्रिनिदाद और टोबैगो के राजदूत ने भी कहा कि हमारी खुली अर्थव्यवस्था है और देश पर मंदी का कोई प्रभाव नहीं है, कारोबारियों को खुला मौका है कि वे न केवल हमारे देश में अपने उत्पादों की आपूर्ति, विनिर्माण कर सकते हैं, बल्कि वहां आधार बनाकर अन्य देशों को भी उत्पादों की आपूर्ति कर सकते हैं।

दिल्ली के प्रमुख ऑटो पाट्र्स उत्पादक और वेलकम ऑटोमोबाइल के प्रमुख नरेंद्र मदान ने कहा, ‘ऑटो सेक्टर में पूरे साल मंदी का दौर रहा। उम्मीद है कि अब बड़े उत्पादकों का भी स्टॉक खत्म होने को है और इस साल उनकी तरफ से मांग बढ़ेगी।’

सडाना बताते हैं कि जिला स्तर पर बैंकों का रवैया छोटे उद्योगपतियों के प्रति बहुत ही निराशाजनक होता है, जिसके चलते हमने प्रधानमंत्री से मांग की है कि जिला स्तर पर बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक के निर्देशों के मुताबिक कर्ज दिए जाने की जांच की जाए। इस पर प्रधानमंत्री ने समिति गठित करने की घोषणा की है।

First Published : December 30, 2008 | 11:43 PM IST