चालू वित्त वर्ष के दौरान ऊंची ब्याज दरों और राजकोषीय मजबूती के कारण भारत के आर्थिक वृद्धि की रफ्तार सुस्त रही है। क्रिसिल ने आज एक रिपोर्ट में कहा है कि इस साल भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.5 से 7 फीसदी के आसपास रहने की संभावना है।
इसके अलावा शुद्ध उत्पाद कर और जीडीपी डिफ्लेटर जैसी कुछ तकनीकी वजहों के कारण भी जीडीपी का रास्ता बाधित हुआ है। जीडीपी वृद्धि के प्रमुख वृहद चालक मजबूत रहे हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में निजी खपत वृद्धि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में बेहतर रही है। निवेश में वृद्धि पिछले साल की तुलना में धीमी है, लेकिन जीडीपी में इसका हिस्सा महामारी के पहले के दशक के औसत की तुलना में बेहतर है।
कोविड महामारी के व्यवधान दूर हो रहे हैं और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि अपनी सामान्य अवस्था में पहुंच रही है, इन तकनीकी वजह से स्थिति सामान्य हो रही है। महामारी के बाद मौद्रिक नीति समिति ने मई 2022 में नीतिगत रीपो दर 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.4 फीसदी कर दिया, ताकि बढ़ती महंगाई पर काबू पाया जा सके। उसके बाद रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में सख्ती जारी रखी है, जो इस समय 6.5 फीसदी के उच्च स्तर पर है। इसका परिणाम यह हुआ है कि ब्याज दरें बढ़ गई हैं।