आईटी सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के सीईओ एवं एमडी के कृत्तिवासन
प्रमुख आईटी सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के सीईओ एवं एमडी के कृत्तिवासन ने लगातार कहा है कि वृद्धि के लिहाज से वित्त वर्ष 2026 बेहतर रहेगा। उन्हें यह भरोसा इसलिए है क्योंकि कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 के दौरान 39.4 अरब डॉलर के कुल अनुबंध मूल्य (टीसीवी) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अलावा कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय बाजारों में वृद्धि दर्ज की है। कृत्तिवासन ने शिवानी शिंदे से बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
टीसीएस ने 12.2 अरब डॉलर के टीसीवी पर हस्ताक्षर किए हैं जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। अन्य मोर्चों पर दमदार स्थिति न होने के बावजूद ऐसा कैसे संभव हुआ?
वास्तव में आप इसे कई तरह से देख सकते हैं। तीसरी तिमाही में हमारा टीसीवी 10 अरब डॉलर रहा था, मगर उसका प्रवाह एकसमान नहीं होता है। इसके अलावा पहली और दूसरी तिमाही दमदार नहीं थीं, लेकिन हमारे पास काफी संभावित सौदे थे। पहली और दूसरी तिमाही में जो सौदे पूरे नहीं हो पाए थे वे अब पूरे होने लगे हैं। ग्राहकों द्वारा निर्णय लेने में सुस्ती के कारण सौदों में देरी हुई। हालांकि तीसरी तिमाही के दौरान हमने देखा कि सौदा चक्र में सुधार हो रहा था। वास्तव में चौथी तिमाही भी दमदार रही, कम से कम मार्च की शुरुआत तक। हमने कई बड़े सौदे भी हासिल किए और जरूरी नहीं है कि वे एआई सौदे हों लेकिन उनमें एआई से संचालित तकनीक के लिए सौदे भी शामिल हैं। हालांकि फरवरी के आखिर से लेकर मार्च की शुरुआत तक कुछ अनिश्चितताएं बढ़ने लगीं।
कितना टीसीवी वास्तविक आय में तब्दील होगा?
हम कोई आंकड़ा नहीं साझा कर सकते हैं, लेकिन हमने आंतरिक तौर पर आकलन किया है। यह टीसीवी साल की शुरुआत करने और लागत को अनुकूल बनाने के लिए एक अच्छा आंकड़ा है। ऐसे में यह मान लेना बिल्कुल उचित है कि लागत को अनुकूल बनाने के कार्यक्रम जारी रहेंगे, भले ही विवेकाधीन खर्च पर दबाव क्यों हो। मेरा मानना है कि यह माहौल थोड़े समय के लिए है। सरकारें साथ आएंगी और इस मुद्दे को जल्द सुलझा लेंगी।
निश्चित तौर पर 30 अरब डॉलर का लक्ष्य सराहनीय है। क्या आपकी नजर 2030 तक 50 अरब डॉलर तक पहुंचने पर है?
मीडिया ने 2030 का उल्लेख किया है, लेकिन जहां तक मुझे याद है कि राजेश (पूर्व सीईओ राजेश गोपीनाथन) ने कभी भी इसे एक खास लक्ष्य के तौर पर निर्धारित नहीं किया। शुरू में हमने जब आकलन किया था तो बेहद कमजोर वृद्धि वाले कुछ वर्षों का अनुमान नहीं लगाया था। अगर हम दो अंकों की वृद्धि पर जल्द लौट जाएंगे तो 50 अरब डॉलर के लक्ष्य तक अभी भी पहुंचा जा सकता है।
क्या पारंपरिक लागत आधारित बड़े सौदे फिर से मिलने लगे हैं?
हां, लेकिन मैं समझता हूं कि वेंडर सुदृढ़ीकरण अथवा एआई आधारित लागत अनुकूलन एक महत्त्वपूर्ण कारक हो सकता है। कुछ सौदों में एआई लागत घटाने में मदद कर सकती है। उदाहरण के लिए, हमने अपने एक ग्राहक से कहा कि वे अपने पोर्टफोलियो के एक हिस्से में एआई का लाभ उठाकर 20 फीसदी लागत घटा सकते हैं। मगर उन्होंने हमसे बड़े पोर्टफोलियो को संभालने, एआई समाधान लागू करने और सभी क्षेत्रों में समान बचत की सुविधा प्रदान करने के लिए कहा।
तो क्या जेन एआई और एआई आधारित सौदों का मूल्य भी बढ़ेगा?
लागत घटाने वाले सौदों का आकार बढ़ेगा। मगर जेन एआई या एआई वाले सौदे कुछ लाख के आकार में बने रहेंगे। जहां तक आईटी के लिए एआई का सवाल है तो वे लागत घटाने वाले सौदे होंगे।
बीएसएनएल सौदा पूरा होने के बाद इस बाजार के लिए आपकी क्या योजना है?
करीब 90,000 साइट शुरू की जा चुकी हैं और अब हम अंतिम चरण में हैं। मगर मुझे लगता कि मूल अनुबंध से इतर अतिरिक्त साइटों को चालू करने की आवश्यकता हो सकती है। हम आगे किसी भी निविदा प्रक्रिया में भाग लेने और उस पर काम करने के लिए तत्पर हैं। बीएसएनएल सौदा पूरा होने के साथ ही वह आय का एक नया स्रोत बन सकती है। दूसरा, हम इस समाधान को वैश्विक स्तर पर ले जाने की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं।
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में भारतीय कारोबार की रफ्तार सुस्त रही जबकि अंतरराष्ट्रीय कारोबार में 0.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। ऐसे में क्या आपको लगता है कि वृद्धि को अंतरराष्ट्रीय कारोबार से रफ्तार मिलेगी?
हम अभी भी उत्तरी अमेरिका को वृद्धि के लिए एक महत्त्वपूर्ण बाजार मानते हैं। इसके अलावा हमें यूरोप में भी दिलचस्पी दिख रही हैं क्योंकि वहां काफी लोग सरकार के खर्च में वृद्धि के बारे में बात कर रहे हैं। उसमें ब्रिटेन भी शामिल है। यह सब वृद्धि को संचालित करने वाले प्रमुख बाजारों के अतिरिक्त दिख रहा है। हम काफी अच्छी वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। पश्चिम एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में हमारा कारोबार बढ़ रहा है। इसके अलावा क्षेत्रीय बाजारों में भी वृद्धि दिख रही है। अगर हम बीएसएनएल सौदे को हटा भी देते हैं तो भी हमारे भारतीय कारोबार की वृद्धि अच्छी रही है।
टीसीएस एआई क्लाउड कारोबार को दो भागों- एआई डॉट डेटा और क्लाउड- में बांट रही है। ऐसा क्यों?
इससे बाजार के रुझान का पता चलता है। जब हमने एआई डॉट क्लाउड इकाई की स्थापना की थी तो उस समय भी काफी बातें हुई थीं। यह कारोबार काफी हद तक साझेदारी पर केंद्रित है। हालांकि समय के साथ-साथ हमने महसूस किया कि कई अन्य भागीदार भी सामने आ रहे हैं और वे एआई को अपना रहे हैं। यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है और इसलिए इस पर खास ध्यान देने की जरूरत है। हम दोनों को एक साथ नहीं रखना चाहते हैं। इन दोनों कारोबार के लिए आवश्यक कौशल भी अलग-अलग हैं।
आपने कहा कि वरिष्ठ प्रबंधन में दो नियुक्तियां रणनीतिक समीक्षा का हिस्सा थीं। आगे इस ओर कितना ध्यान दिया जाएगा?
हमारा मानना है कि एआई, डेटा और क्लाउड हमारी वृद्धि के मुख्य वाहक हैं। इसके अलावा हमारी नजर डिजिटल इंजीनियरिंग, साइबर सिक्योरिटी और एंटरप्राइज सॉल्यूशन आदि पर भी है। ये महत्त्वपूर्ण सर्विस लाइन हैं जो वृद्धि को रफ्तार देती हैं। जब आप किसी सर्विस लाइन को वृद्धि के वाहक के तौर पर पहचान करते हैं तो उस पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है। इसलिए हमने एक सीओओ और मुख्य रणनीति अधिकारी की नियुक्ति की है जो रणनीति को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
करीब 40 फीसदी नियुक्तियां उन्नत प्रौद्योगिकी में हो रही हैं। पिछले साल यह आंकड़ा महज 17 फीसदी था। आगे की स्थति कैसी रहेगी?
हम अभी भी 40,000 लोगों को प्रशिक्षु स्तर पर भर्ती कर रहे हैं और यह एक महत्त्वपूर्ण आंकड़ा है। यह भर्ती उन क्षेत्रों में की गई है जहां हम तेजी से प्रतिभाओं का भंडार बढ़ाना चाहते हैं। ऐसा मझोले से लेकर वरिष्ठ स्तर पर किया जाता है। कभी-कभी आपको शीर्ष स्तर पर भी प्रतिभा की जरूरत होती है तो आपको बाहर से नियुक्ति करनी पड़ती है।
सेमीकंडक्टर और एआई के क्षेत्र में भारत के सफर में आपको क्या संभावनाएं दिख रही हैं?
हम सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए टाटा समूह की कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं। हमारे पास सेमीकंडक्टर डिजाइन में कुछ विशेषज्ञता मौजूद है और इसलिए हम उनके साथ सहयोग कर रहे हैं। इसके अलावा हम उन्हें भविष्य के कारखाने बनाने में मदद कर रहे हैं। एआई के अलावा इस क्षेत्र में भी हमारी विशेषज्ञता है।