जर्मन कंपनी पर 3 भारतीय दिग्गजों का धावा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 4:30 PM IST

अधिग्रहण की भारतीय कंपनियों की प्यास अभी बुझी नहीं है। उस पर बाजार के हालात उन्हें ज्यादा से ज्यादा अधिग्रहण पर मजबूर कर रहे हैं और अगर मामला पुर्जे वगैरह बनाने वाली किसी नामी कंपनी का हो, तो फिर  क्या बात है।


भारतीय कॉर्पोरेट दिग्गज हिन्दुजा समूह, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और भारत फोर्ज भी आजकल ऐसी ही एक कंपनी के अधिग्रहण की फिराक में हैं। तीनाें जर्मन कंपनी थिसेनक्रुप की मुख्य फोर्जिंग इकाई के अधिग्रहण के लिए दावेदार है।


निवेश बैंकरों के मुताबिक यह अधिग्रहण लगभग 4,000 करोड़ रुपये में हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक थिसेनक्रुप की इस फोर्जिंग इकाई का सालाना कारोबार लगभग 3200 करोड़ रुपये है। कंपनी को इसमें 30 से 40 फीसदी की दर से सालाना बढ़ोतरी की उम्मीद है।


फोर्जिंग इकाई थिसेनक्रुप टेक्नोलॉजिज की है जो 3120 अरब रुपये पूंजी वाली थिसेनक्रुप एजी की सहायक कंपनी है। कंपनी  अपना फोर्जिंग कारोबार दिल्ली के सोना सोना समूह को बेच चुकी हैं।


यह सौदा जनवरी में हुआ था, लेकिन इसके लिए सोना सोना ने कितनी रकम चुकाई, इस बात का खुलासा नहीं किया गया। निवेश बैंकरों की माने तो कंपनी अब क्रेंकशाफ्ट का अपना कारोबार भी बेचने की योजना बना रही है।


इसे बेचने के बाद कंपनी प्रोद्यौगिकी से जुड़े दूसरे कारोबार पर ध्यान देगी।थिसेनक्रु प के इस इरादे के बारे में अभी पुख्ता तौर पर कुछ पता नहीं चल पाया है।


कंपनी ने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया है, लेकिन हिन्दुजा समूह ने इस बात की पुष्टि की है। हिन्दुजा ने साफ तौर पर कहा है कि उसने निवेश बैंकरों से अधिग्रहण के सिलसिले में बातचीत शुरू कर दी है।


महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के अध्यक्ष हेमन्त लूथरा ने कहा कि कंपनी इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती है। लेकिन उन्होंने अधिग्रहण की बात से इनकार नहीं किया ।


हिंदुजा समूह के मुख्य वित्त अधिकारी प्रवाल बनर्जी ने बताया कि एक निवेश बैंकर ने कंपनी से इस सौदे के बारे में बात की है। हिंदुजा समूह की एन्नौर फाउंड्री वाहन उद्योग के लिए काम करने वाली देश की सबसे बड़ी फाउंड्री है।


यह सालाना 48,000 टन ग्रे-आयरन की ढलाई कर सकती है।थिसेनक्रुप टेक्नोलॉजिज उच्च प्रोद्यौगिकी वाले संयंत्र और पुर्जे बनाती है और इसका व्यापार पांच इकाइयों में बंटा हुआ है। मैकेनिकल पुर्जे बनाने वाली इकाई क्रेंकशाफ्ट भी बनाती है।


भारतीय कंपनियां इसी इकाई का अधिग्रहण करना चाहती हैं। बनर्जी ने कहा कि अभी बातचीत शुरुआती दौर में है।


महिंद्रा ने पुर्जे बनाने के क्षेत्र में 2004 में ही कदम रखा है। कंपनी का लक्ष्य 2010 तक अपना कारोबार 40 अरब रुपये  तक पहुंचाने का है। इसके लिए वह अधिग्रहण पर ही भरोसा कर रहा है।


समूह की कंपनी महिंद्रा फोर्जिंग्स ने हाल ही में ब्रिटेन स्थित स्टोक्स फोर्जिंग्स का अधिग्रहण किया है। इससे पहले कंपनी ने ब्रिटेन की जैको होल्डिंग और जर्मनी की शोनवाइ का भी अधिग्रहण किया था।सूत्रों के मुताबिक भारत फोर्ज इस अधिग्रहण के लिए बेकरार है और दौड़ में सबसे आगे है।

First Published : March 10, 2008 | 9:15 PM IST