उत्तर प्रदेश में आलू की जबर्दस्त पैदावार ने भी किसानों के चेहरे की रौनक गायब कर दी है।
प्रदेश की बड़ी थोक मंडियों में आलू की कीमत बीते 20 दिनों में 4.5-5.5 रुपये से लुढ़ककर 3 रुपये के स्तर पर आ गई है।कोल्ड स्टोरेज में भंडारण की कोशिश कर रहे किसानों को हाउसफुल का बोर्ड मुंह चिढ़ा रहा है। जबकि थोक और खुदरा बाजार की कीमतों में दोगुने का फर्क चल रहा है।
लगातार घोषणाओं के बावजूद प्रदेश के किसी किसान के पास इस साल निर्यात का कोई ऑर्डर नहीं है। खुद उत्तर प्रदेश राज्य किसान मंडी परिषद के अधिकारी यह मान रहे हैं कि कम से कम 20 से 50 टन आलू किसानों के घर में सड़ने की नौबत आ गई है।
उत्तर प्रदेश में इस साल तकरीबन 125 लाख टन आलू की पैदावार हुई है जो पिछले साल के मुकाबले 15 लाख टन ज्यादा है। यूपी में मौजूद कोल्ड स्टोर सालाना अधिकतम 90 लाख टन आलू का भंडारण कर सकते हैं। इस तरह करीब 30-35 लाख टन आलू किसानों के पास बच जाएगा। मंडी में माल खपाने की आपाधापी में हाथरस, एटा और अलीगढ़ में बीते सप्ताह थोक मंडी में आलू 2 से 2.5 रुपये प्रति किलो तक बिका जबकि लखनऊ में यही कीमत 3.5 रुपये प्रति किलो तक गई।
ऊधर, कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने लागत बढ़ने के नाम पर भंडारण शुल्क को 115 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 130 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। उत्तर प्रदेश फल सब्जी बिक्रेता संघ के अध्यक्ष उस्मान का मानना है कि थोक बाजार में कम कीमत और बढ़े हुए भंडारण शुल्क के दबाव में किसान आने वाले हफ्तों में और ज्यादा माल बेचेंगे।
उस्मान ने बताया कि आलू की कीमत थोक बाजार में तो गिर रही है जबकि खुदरा माल लेने वालों को इसका कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है। इस समय खुदरा बाजार में आलू की कीमत 6.5 से 7 रुपये प्रति किलो है।
गौरतलब है कि 2005 में उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़े पैमाने पर आलू निर्यात की योजना बनाई थी। उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन व मंडी परिषद द्वारा प्रदेश में पैदा हुए आलू को ताज ब्रांड से निर्यात करने की ठानी थी। शुरुआती दो साल के निर्यात के बाद अब प्रदेश का आलू बाहर जाना लगभग बंद हो गया है। इस साल खुद कृषि मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने 9 लाख टन आलू के निर्यात की घोषणा की थी, पर इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है।