संयुक्त राष्ट्र ने एशिया के सभी बड़े उत्पादक देशों में चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना जाहिर की है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक भारत में भी आने वाले समय में चावल उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। इस बढ़ोतरी के कारण चावल की आपूर्ति भी सामान्य हो जाएगी। संयुक्त राष्ट्र से जुड़े खाद्य व कृषि संगठन ने कहा है कि विश्व स्तर पर चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है।
संगठन का अनुमान है कि अगर मौसम सामान्य रहा तो चावल के उत्पादन में 120 लाख टन की बढ़ोतरी हो सकती है। संगठन के मुताबिक चावल के सभी बड़े उत्पादक देशों में चावल के उत्पादन में बढ़ोतर की संभावना है। इनमें भारत के अलावा चीन, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, म्यांमार, फिलीपिंस व थाईलैंड शामिल हैं। इन देशों में इन दिनों मांग के हिसाब से आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
हालांकि एफएओ ने इस बात की भी संभावना जाहिर की है कि इस बढ़ोतरी से चावल के कारोबार में कोई बढोतरी नहीं होगी। क्योंकि चावल के बड़े उत्पादक देशों ने चावल के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है। इन देशों ने अपने-अपने देशों में चावल की बढ़ती कीमत व मांग व आपूर्ति में होने वाले असंतुलन को देखते हुए निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है। इस साल अफ्रीका में भी चावल के उत्पादन की अच्छी संभावना है।
अफ्रीकी देश जैसे मिस्त्र, ग्युनिया, नाइजीरिया, सीरिया व लेवनान में चावल के उत्पादन में दो फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना है। खाद्य आयात को देखते हुए ये अफ्रीकी देश चावल के उत्पादन को बढ़ाने की ओर अपना ध्यान दे रहे है।
लैटिन अमेरिकी देशों में चावल के उत्पादन में मजबूती के आसार हैं। यूरोपियन संघ के देश चावल उत्पादन के मामले में जापान से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। जहां गत साल उत्पादकों की कीमत में गिरावट देखी गई थी। विश्व के अन्य हिस्सों में पानी की कम उपलब्धता के कारण चावल के उत्पादन में कमी के आसार हैं। ऑस्ट्रेलिया में कम उत्पादन के आसार व्यक्त किए जा रहे हैं। अमेरिका में भी चावल के उत्पादन में कमी की उम्मीद जाहिर की जा रही है।
अमेरिका में किसान चावल की जगह अन्य लाभदायक फसलों की खेती कर रहे हैं। इन्हीं कारणों से वहां चावल के उत्पादन में कमी की उम्मीद है। एफएओ के वरिष्ठ अर्थशास्त्री का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल के मामले में मांग व आपूर्ति में संतुलन नहीं है इन्हीं कारणों से चावल के मूल्य में बढ़ोतरी देखी जा रही है। उन्हें उम्मीद है कि वर्ष 2008 में चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी से इसकी आपूर्ति पर दबाव कम होगा।
लेकिन अभी कुछ दिनों तक इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। क्योंकि इन दिनों स्टॉक से बहुत ही कम मात्रा में चावल की आपूर्ति हो रही है। उनका कहना है कि उत्पादन को लेकर किसी बुरी या अच्छी खबर से बाजार में बहुत ही तीखी प्रतिक्रिया होती है। एफएओ के मुताबिक चावल के उत्पादन में वर्ष 2007 में एक फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इस दौरान कुल उत्पादन 6500 लाख टन के स्तर पर रहा।
यह लगातार दूसरा साल है जब चावल के उत्पादन में जनसंख्या के उत्पादन के मुकाबले कम बढ़ोतरी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चालू वर्ष के लिए चावल के कारोबार में गत साल के मुकाबले एक फीसदी की कमी की उम्मीद की जा रही है। इस साल विश्व बाजार में 299 टन चावल के कारोबार की संभावना है। चावल के कारोबार में कमी के लिए इसके उत्पादक देशों में कम आपूर्ति व चावल के मूल्य में बढ़ोतरी को महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है।
वर्तमान में चीन, भारत, मिस्त्र व वियतनाम जैसे देश पारंपरिक रूप से चावल निर्यातक देश हैं। इन देशों ने या तो चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है या फिर निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए निर्यात मूल्य में बढ़ोतरी कर दी है। एफएओ का कहना है कि इस प्रकार के फैसले इन देशों से होने वाले चावल निर्यात में निश्चित रूप से कमी आएगी।
इन कारणों से ऐसा माना जा रहा है कि विश्व बाजार में चावल व अन्य अनाज के मूल्यों में उछाल आएगा। क्योंकि अधिकतर उत्पादक देशों ने चावल के निर्यात पर पाबंदी लगा दी है। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि खाद्य पदार्थों की मांग में विश्व बाजार में जबरदस्त उछाल हो सकता है। विश्व बाजार में सोयाबीन के कारोबार में लगातार तीसरे दिन मजबूती देखी गई। साथ ही निवेशकों के समर्थन से गेहूं के कारोबार में भी मजबूती दर्ज की गई।
निवेशकों का मानना है कि असंतुलित पर्यावरण के कारण खाद्य पदार्थों के उत्पादन में कमी होने जा रही है। इन कारणों के तहत शिकागो के बाजार में चावल में 2.4 फीसदी की तेजी देखी गई। विश्व बैंक के अध्यक्ष राबर्ट जोलिक का कहना है कि खाद्य पदार्थ व ऊर्जा के संसाधनों की कीमतों में बढ़ोतरी से विश्व के 33 देशों में संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी।
इन देशों में खाद्य पदार्थों को खरीदने की क्षमता लोगों में नहीं रहेगी। खाद्य पदाथ व कच्चे तेल की बढती कीमत के कारण ही विश्व में महंगाई की दर अधिक हो गई है। और भारत व चीन जैसे देश अपनी आपूर्ति पर रोक लगाने का फैसला कर रहे हैं। तीन बिलियन लोगों का पेट पालने वाले चावल की कीमत गत वर्षो में दोगुना हो गई है तो सोयाबीन व गेहूं की कीमत भी अपने चरम पर है।
चावल की कमी को देखते हुए वियतनाम ने भी अपने देश से बाहर भेजे जाने वाले 40 लाख टन चावल पर रोक लगा दी। ताकि घरेलू मांग की पूर्ति की जा सके और बढ़ती महंगाई पर काबू पाया जा सके। वियतनाम की सरकार ने कहा है कि वह चावल के निर्यात पर कर लगाने पर विचार कर रही है। इधर मलेशिया अपने देश में चावल के स्टॉक को मजबूत करने के लिए दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देशों से चावल का आयात करना चाहती है।