भारत की प्रजनन दर प्रतिस्थापन दर से नीचे गिर गई है, वहीं नेपाल और बांग्लादेश की प्रजनन दर 1990 और 2020 के बीच काफी रफ्तार से कम हुई है।
प्रतिस्थापन स्तर वह स्तर है जिस पर जनसंख्या पीढ़ी दर पीढ़ी उतनी ही रहती है। संयुक्त राष्ट्र की निर्धारित प्रजनन दर प्रति महिला 2.1 जन्म है।
चीन के सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि वहां की जनसंख्या 2022 में सिकुड़ कर 1.412 अरब पहुंच गई है। विश्व जनसंख्या संभावना 2022 के आंकड़ों को अगर माना जाए तो वर्ष 2022 में भारत की जनसंख्या 1.412 अरब होने का अनुमान है और इसके साथ देश दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश हो जाएगा। हालांकि बिज़नेस स्टैंडर्ड ने यह पता लगाया कि भारत के आधिकारिक टेक्निकल ग्रुप ऑफ पापुलेशन प्रोजेक्शन (टीजीपीपी) के अनुमान के मुकाबले संयुक्त राष्ट्र ने भारत की जनसंख्या 4.11 अधिक बताई। लेकिन, अगर टीजीपीपी के आंकड़ों को ही माना जाए तो भारत की जनसंख्या 2025 तक चीन की जनसंख्या को पार कर जाएगी।
इसका सबसे बड़ा कारण भारत की चीन के मुकाबले अधिक प्रजनन दर या प्रति महिला अधिक जन्म देने की दर है। पड़ोसी देशों से अगर तुलना की जाए तो आकड़ों से पता चलता है कि भले ही भारत की प्रजनन दर 1990 और 2020 के बीच घटकर आधी हो गई हो लेकिन नेपाल और बंग्लादेश में प्रजनन दर और भी तेजी से घट रही है। भले ही भारत की प्रजनन दर 2 तक गिर गई, जो संयुक्त राष्ट्र की निर्धारित प्रजनन दर (प्रति महिला 2.1 जन्म) से काफी नीचे है, लेकिन उप-महाद्वीपीय देशों में यह गिरावट देखने वाला भारत अकेला देश नहीं है।
भारत की प्रजनन दर 1990 में 4.05 थी, नेपाल में यह 5.2 और बांग्लादेश में यह 4.5 थी। चीन में भी यह गिरावट भारत की तुलना में लगभग बराबर ही है। चीन में प्रजनन दर 1990 में 2.51 थी जो 2020 में 49 फीसदी घटकर 1.28 पर आ गई। हालांकि पिछले दशक में भारत की प्रजनन दर में कमी की रफ्तार अन्य पड़ोसी देशों की तुलना में काफी तेज रही है। चीन अकेला ऐसा देश है जिसने 2010 और 2020 के बीच भारी पैमाने पर जनसंख्या में गिरावट देखी।
शहरी और ग्रामीण इलाकों के लोगों में प्रजनन क्षमता की तुलना करें तो ग्रामीण इलाकों में इस गिरावट की रफ्तार 2005-06 और 2019-21 के बीच तेज रही है। ग्रामीण इलाकों में प्रजनन दर 2.14 थी वहीं शहरी इलाकों में यह 1.63 ही है।