केंद्र सरकार ने फरवरी 2022 में फैसला किया था कि क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर 30 फीसदी कर लगाया जाएगा और सभी तरह के क्रिप्टो सौदों पर 1 फीसदी टीडीएस कटेगा। इसके बाद भी लोग क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करते रहे। अगर आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं तो आयकर रिटर्न दाखिल करने की तारीख 31 जुलाई से पहले ही समझ लें कि क्रिप्टो पर कर कैसे लगाया जाता है ताकि आगे आपको दिक्कत न हो।
क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल या आभासी करेंसी है, जो सुरक्षा के लिए क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल करती है। इसकी डोर किसी एक सरकार या केंद्रीय संस्था के हाथ में नहीं है। उसके बजाय यह ब्लॉकचेन तकनीक पर चलती है, जो असल में एक डिजिटल रजिस्टर की तरह होता है। इसमें कई कंप्यूटरों का नेटवर्क होता है और सभी सौदे उन पर दर्ज होते रहते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी को समझने के बाद यह समझना भी जरूरी है कि उस पर कर कैसे लगता है और किन स्थितियों में लगता है:
सबसे पहले तो क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे पर सीधा 30 फीसदी कर काटा जाता है। आयकर अधिनियम की धारा 115बीबीएच कहती है कि क्रिप्टोकरेंसी समेत सभी वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों के किसी भी प्रकार के लेनदेन से होने वाली आय पर 30 फीसदी कर काटा ही जाएगा। उसके अलावा उस पर अधिभार और उपकर भी लगेंगे।
मान लीजिए कि आपने बिटकॉइन की ट्रेडिंग से 1 लाख रुपये कमाए हैं तो आपको इस पर बतौर कर 30,000 रुपये देने होंगे। उसके ऊपर 1,200 रुपये उपकर भी काटा जाएगा। इस तरह 1 लाख रुपये की कमाई पर आप 31,200 रुपये कर देंगे।
वर्चुअल डिजिटल संपत्ति से होने वाले घाटे के बदले आप किसी अन्य वर्चुअल डिजिटल संपत्ति पर हुए मुनाफे या किसी अन्य प्रकार की आय पर कर छूट नहीं मांग सकते। करयोग्य आय में से केवल ऐसी संपत्तियों को खरीदने पर हुआ खर्च ही घटाया जा सकता है।
1 जुलाई 2022 से एक सीमा से अधिक वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों के लेनदेन पर 1 फीसदी टीडीएस काटा जा रहा है। यूजर्स की ओर से टीडीएस काटने की जिम्मेदारी क्रिप्टो एक्सचेंज की है। मगर यदि दो यूजर्स आपस में लेनदेन करते हैं तो खरीदने वाले को टीडीएस काटकर जमा करना होगा। मान लीजिए कि आपने 60,000 रुपये के एथेरियम बेचे तो खरीदार 600 रुपये टीडीएस काटने के बाद आपको 59,400 रुपये दे देगा।
क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग में यानी उन्हें तैयार करने में बहुत ताकतवर कंप्यूटर या खास हार्डवेयर का इस्तेमाल होता है, जो लेनदेन का सत्यापन करता है और उसे ब्लॉकचेन नेटवर्क पर चढ़ा देता है। इस नेवटर्क में माइनर या नोड गणित की पेचीदा गुत्थियों को सुलझाने में एक दूसरे का मुकाबला करते हैं। जो माइनर सबसे पहले उसे सुलझा लेता है, उसे बतौर इनाम क्रिप्टोकरेंसी मिलती है। हर नेटवर्क पर अलग-अलग कीमत की क्रिप्टोकरेंसी इनाम में मिलती हैं।
इस तरह माइनिंग से होने वाली आय पर 30 फीसदी कर लगता है। कर का हिसाब लगाते समय माइनर की क्रिप्टोकरेंसी की खरीद कीमत शून्य मान ली जाती है और वह जितने में भी बिकती है, वह मुनाफा कहलाता है। इसकी कीमत हर नेटवर्क पर अलग-अलग होती है।
माइनिंग में लगी बिजली या कंप्यूटर आदि उपकरणों की कीमत को खरीद मूल्य में शामिल नहीं किया जा सकता। मुनाफा चाहे दीर्घावधि हो या अल्पावधि, उस पर कर की दर एक ही रहती है और वह हर तरह की आय पर लगती है। मान लीजिए कि आपने डोजकॉइन अपने पास रखा और उसे बेचने पर आपको 2 लाख रुपये की कमाई हुई। अब आपने यह करेंसी अपने पास 1 महीने (कम अवधि) रखी थी या 1 साल (लंबी अवधि), उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा और आपसे 60,000 रुपये कर तथा 2,400 रुपये उपकर यानी कुल 62,400 रुपये वसूल लिए जाएंगे।
निवेशक चाहे निजी हो या कमर्शल, उसके लिए कर के नियम और दरें एक ही होंगी। मान लीजिए कि कोई फर्म क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग से 5 लाख रुपये कमाती है तो उसे 1.50 लाख रुपये कर और 6,000 रुपये उपकर यानी कुल 1.56 लाख रुपये देने होंगे।
यूनोकॉइन के सह-संस्थापक और सीईओ सात्विक विश्वनाथन कहते हैं, ‘क्रिप्टोकरेंसी पर कर लगने से उनके लेनदेन और सौदों में नियमों का अनुपालन और जवाबदेही पक्की हो जाती है। अल्पावधि और दीर्घावधि मुनाफे पर एक जैसा कर कटने के कारण क्रिप्टोकरेंसी की आय भी दूसरी तरह की आय के बराबर हो गई है। इन कर प्रावधानों का मकसद क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी गतिविधियों को कायदे में लाना, पारदर्शिता बढ़ाना तथा सभी प्रकार के निवेशकों तथा लेनदेन पर न्यायोचित कर लगाना है।’