अंतरराष्ट्रीय

क्या अमेरिका में पढ़ाई अब फायदे का सौदा नहीं रही?

$1 लाख H-1B वीज़ा फीस और OPT पर असर: भारतीय छात्रों की अमेरिका में पढ़ाई की योजना पर बढ़ा खतरा

Published by
सुरभि ग्लोरिया सिंह   
Last Updated- September 25, 2025 | 1:02 PM IST

अमेरिका में H-1B वीजा पर $1 लाख की एकबारगी फीस लगाने के ट्रंप प्रशासन के फैसले ने भारतीय छात्रों की अमेरिकी हायर एजुकेशन की योजनाओं पर बड़ा असर डाला है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे छात्रों की संख्या घट सकती है, जबकि कुछ का कहना है कि अमेरिका की शिक्षा का आकर्षण अभी भी बरकरार रहेगा।

H-1B फीस बढ़ने से US में पढ़ाई मुश्किल

विद्याशिल्प यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स के डीन, प्रो. चंदन गौड़ा ने कहा कि यह बदलाव उन भारतीय छात्रों को निराश कर सकता है जो अमेरिका में हायर एजुकेशन के साथ लंबी अवधि में काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “सभी कंपनियां नए H-1B वीजा के लिए $1 लाख फीस देने में सक्षम नहीं होंगी। साथ ही, सोशल मीडिया पर छोटी-सी पोस्ट या लाइक के कारण डिपोर्टेशन का खतरा, अमेरिकी शिक्षा को जोखिम भरा विकल्प बना देता है।” गौड़ा ने आगे बताया कि भारतीय छात्र भारत में बढ़ते हायर एजुकेशन विकल्पों पर भी ध्यान दे सकते हैं, जो कम कॉस्ट और स्थिर नीतियों के कारण बढ़िया हैं।

भारतीय छात्र अब क्यों यूरोप की ओर रुख कर रहे हैं?

GyanDhan के को-फाउंडर अंकित मेहरा ने बताया कि छात्रों का रुझान बदल रहा है। असुरक्षित राजनीतिक माहौल और वीज़ा रोक की वजह से Fall 2025 के लिए दाखिले पहले ही कम हुए हैं। H-1B फीस बढ़ोतरी से यह असर और बढ़ सकता है। छात्र अब STEM कोर्स के लिए जर्मनी जैसे देशों को प्राथमिकता दे रहे हैं या ए़डमिशन न लेने का मन बना रहे हैं। अमेरिका की यूनिवर्सिटी विदेशी छात्रों पर निर्भर हैं क्योंकि उनकी फीस घरेलू छात्रों से 2-3 गुना अधिक होती है।” Gradding की फाउंडर ममता शेखावत ने कहा कि OPT (Optional Practical Training) से H-1B मार्ग पर जाने वाले छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। OPT एक ऐसा प्रोग्राम है जो अमेरिका में F-1 छात्र वीजा पर पढ़ाई कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अपने अध्ययन क्षेत्र में अस्थायी रूप से काम करने का मौका देता है।

अमेरिकी शिक्षा की लागत बढ़ने से क्या नुकसान होगा?

प्रोफेसर एम. ए. वेंकटरामणम ने कहा कि अमेरिका में डिग्री लेना अब आर्थिक रूप से कम फायदेमंद होता जा रहा है। H-1B फीस बढ़ने से अमेरिकी शिक्षा के लिए लोन लेना जोखिम भरा हो जाएगा। मिड-साइज कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए विदेशी ग्रेजुएट को नौकरी पर रखना महंगा होगा। बड़ी कंपनियां अभी भी भर्ती कर सकती हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अवसर कम होंगे। छात्रों पर दोहरा असर होगा। एक तरफ भारी लोन चुकाना और दूसरी तरफ कम नौकरी के अवसर। इससे उनके निवेश का फायदा कम होगा।

फिर भी अमेरिका की शिक्षा का आकर्षण क्यों बरकरार है?

हर कोई इस फैसले को नकारात्मक नहीं मानता। Lorien Finance के फाउंडर निखिल मुदगल ने कहा, “अभी भी भारतीय छात्रों के लिए अमेरिकी शिक्षा आकर्षक है। विश्व स्तरीय प्रोग्राम और करियर अवसर बहुत मजबूत हैं। फीस बढ़ोतरी अस्थायी है और भविष्य में प्रशासन बदलने पर इसे पलटा जा सकता है।”

OPT (Optional Practical Training) मार्ग पर H-1B फीस का क्या असर होगा?

अमेरिका में भारतीय छात्र आमतौर पर F-1 वीजा पर पढ़ाई शुरू करते हैं। इसके बाद OPT के तहत अस्थायी काम करते हैं और फिर H-1B के लिए आवेदन करते हैं। University Living के फाउंडर सौरभ अरोड़ा ने कहा, “H-1B फीस बढ़ने का सीधा असर OPT पर नहीं पड़ेगा, लेकिन क्योंकि OPT हमेशा H-1B का पुल माना जाता था, छात्रों का नजरिया बदल जाएगा। अब इसे केवल अंतरराष्ट्रीय अनुभव के अवसर के रूप में देखा जाएगा।” upGrad के प्रनीत सिंह ने कहा कि OPT अभी भी छात्रों को काम का अनुभव देता है, लेकिन अब छात्र अपनी योजना ऐसे उद्योगों और कंपनियों के हिसाब से बनाएंगे जो H-1B वीजा देने के लिए तैयार हैं।

छात्र इस स्थिति के लिए कैसे तैयारी कर सकते हैं?

  • विशेषज्ञों ने छात्रों को व्यावहारिक कदम उठाने की सलाह दी है।
  • इमिग्रेशन नियमों पर अपडेट रहें।
  • दस्तावेज तैयार रखें और विश्वविद्यालय रिसोर्सेज का इस्तेमाल करें।
  • बड़ी अमेरिकी कंपनियों में नौकरी के विकल्प देखें जो फीस का खर्च उठा सकती हैं।
  • अन्य देशों में अवसरों पर भी नजर रखें।

मेहरा ने बताया कि मौजूदा वीजा स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ा है; $1 लाख की फीस केवल नए आवेदकों पर लागू होगी।

अमेरिका में पढ़ाई का ROI और माता-पिता की चिंता क्या है?

छात्रों और उनके माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि पढ़ाई में किया गया निवेश कितना फायदा देगा (ROI)। मेहरा ने कहा, “अमेरिका में उच्च शिक्षा का मुख्य आकर्षण आय और निवेश पर फायदा है। माता-पिता को ,स्कॉलरशिप, कैंपस में काम के मौके और दूसरे देशों के विकल्पों से तुलना करनी चाहिए।”

Mudgal ने कहा कि माता-पिता को सिर्फ फीस ही नहीं, बल्कि रहने का खर्च, वीजा फीस, हेल्थ इंश्योरेंस और यात्रा जैसे छिपे खर्च भी अपने बजट में शामिल करने चाहिए।

अन्य देशों की ओर रुझान

शेखावत ने कहा कि अब कनाडा, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश छात्रों के लिए ज्यादा आकर्षक हो सकते हैं। मेहरा ने कहा, “ट्रंप प्रशासन के फैसले अक्सर उम्मीद के परे होते हैं। छात्रों को सूचित रहना चाहिए, अपने विकल्प बढ़ाने चाहिए और दुनिया में होने वाले बदलावों के लिए तैयार रहना चाहिए।”

First Published : September 25, 2025 | 1:02 PM IST