वित्त-बीमा

कुछ फर्मों के हाथ ऑडिट जाने की चिंता उचित नहीं

एनएफआरए चेयरपर्सन अजय भूषण पांडेय ने ऑडिट मानकों में बदलाव को पारदर्शिता और निवेशकों के संरक्षण के लिए जरूरी बताया।

Published by
रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- November 15, 2024 | 9:53 PM IST

नैशनल फाइनैंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी के चेयरपर्सन अजय भूषण पांडेय ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि कुछ क्षेत्रों में यह चिंता जताई जा रही है कि ऑडिट मानकों में बदलाव किए जाने से कुछ बड़ी फर्मों के हाथ में ऑडिट का काम चला जाएगा, यह उचित नहीं है।

पांडेय ने कहा, ‘किसी अज्ञात समस्या की गलत आशंका से हम वैश्विक मानकों के अनुरूप कार्य करने तथा अधिक पारदर्शिता और निवेशकों के संरक्षण की दिशा में काम करने से नहीं रुक सकते।’ अगर ऐसे मसलों का कोई दूर दराज का उदाहण भी आता है तो उसे आसानी से सरकार द्वारा ग्रुप ऑडिटर द्वारा सहायक कंपनियों के लिए किए जा सकने वाले ऑडिट की संख्या पर सीमा लगाकर दुरुस्त किया जा सकता है।

समाधान हमेशा संभव है। विकसित भारत के लिए भारत को वैश्विक अकाउंटिंग और ऑडिटिंग के मानकों की जरूरत है। हम निम्न स्तर के मानक अपनाने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।’राष्ट्रीय वित्तीय नियामक प्राधिकरण (एनएफआरए) ने मंगलवार को अपनी 18वीं बोर्ड बैठक के बाद 40 ऑडिटिंग मानकों (एसए) में संशोधन की सिफारिश की है।

First Published : November 15, 2024 | 9:53 PM IST