अर्थव्यवस्था

सेवा निर्यात अब वस्तुओं के बराबर, क्या भारत अब बदलेगा अपना लक्ष्य

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के इस सिद्धांत को बल मिलेगा कि भारत को सेवाओं के निर्यात पर जोर देना चाहिए और चीन की नकल करते हुए मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का दिग्गज बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए

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इंदिवजल धस्माना
Last Updated- February 17, 2023 | 7:22 PM IST

भारत का सेवाओं का निर्यात अब तेजी से मर्केंडाइज निर्यात तक पहुंच रहा है। इस साल जनवरी में दोनों का निर्यात करीब बराबर और 21 अरब डॉलर से ऊपर था।

अगर यह धारणा सही होती है तो इससे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के इस सिद्धांत को बल मिलेगा कि भारत को सेवा निर्यात पर जोर देना चाहिए और चीन की नकल करते हुए मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र का दिग्गज बनने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) पर हमला बोलते हुए यह कहा था।

हालांकि सवाल यह है कि क्या विदेश में स्थिति सामान्य होने पर भी यह स्थिति बनी रहेगी? विपरीत बाहरी स्थितियों के कारण जनवरी में लगातार दूसरे महीने पिछले साल की समान अवधि की तुलना में मर्केंडाइज निर्यात कम हुआ है, वहीं सेवाओं के निर्यात में तेज बढ़ोतरी हुई है। जनवरी में वस्तुओं का निर्यात 6.5 प्रतिशत कम हुआ है, वहीं सेवाओं का निर्यात 49.05 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।

अदिति नायर ने कहा, ‘वस्तुओं का निर्यात जिंस की कीमत से संचालित होगा, जिसमें उतार चढ़ाव जारी रह सकता है। सेवाओं का निर्यात अन्य वजहों से संचालित होगा, जैसे आईटी निर्यात की मांग। यह बिजनेस साइकल के साथ सीमा पार यात्रा पर निर्भर होगा।’

Pennsylvania State University में अर्थशास्त्री राजन और लांबा ने अपने लेख में भारत और चीन के आर्थिक वातावरण में अंतर और नीति की प्रकृति में अंतर का हवाला दिया था और यह बताया था कि भारत को सेवा से संचालित निर्यात की रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

उनका कहना था कि शुरुआत में चीन बहुत तेजी से बढ़ा और वेतन और खपत को दबाने के साथ उधारी की लागत कम करके उसे नियंत्रण में रखा। समय बीतने के साथ चीन में भी ज्यादा शिक्षित कार्यबल होने लगा और बुनियादी ढांचा शानदार हो गया। साथ ही शुल्क भी घट गया। उनका तर्क था कि चीन की रणनीति का शुरुआती हिस्सा शुरुआत में लोकतांत्रिक भारत के लिए कठिन और अनैच्छिक हो सकता है।

उनका कहना है कि भारत उन सेवाओं में संभावना तलाश सकता है, जो तकनीक का इस्तेमाल कर दूर से मुहैया कराई जा सकती हैं। इसमें कानूनी और वित्तीय परामर्श, शिक्षा और टेलीमेडिसिन शामिल हैं।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि भारत को दोनों क्षेत्रों पर ध्यान देने और स्थिति का लाभ उठाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत अपनी मैन्युफैक्चरिंग बढ़ा रहा है, ऐसे में वह निर्यात की ओर बढ़ सकता है। मैन्युफैक्चरिंग में ज्यादा स्थिर नौकरियां होती हैं और हमें इस मार्ग पर बढ़ने की जरूरत है। सेवा भी अहम है, लेकिन भारत को एक पैडल पर पैर रखकर आगे बढ़ने की सलाह देना ठीक नहीं है।

First Published : February 17, 2023 | 7:22 PM IST