पारदर्शी सिलेंडर में मिलेगी गैस पर सब्सिडी नहीं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 4:58 PM IST

सरकार ने घरेलू उपयोग में आने वाली लिक्विड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के दोहरा मूल्य निर्धारित करने के लिए एक कदम बढ़ा दिया है।


इसके तहत सभी विपणन कंपनियों को खास तरह के फाइबर ग्लास  के सिलेंडर में बाजार मूल्य पर गैस बेचने की अनुमति दे दी है।तीनों सरकारी कंपनियां-इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन (एचपीसीएल) खास तरह के पारदर्शी सिलेंडरों को बेंगलुरु, मुंबई और पुणे में बेचेगी।


गौरतलब है कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत इन शहरों का चुनाव किया गया है। खास बात यह कि पारदर्शी फाइबर सिलेंडर में बिकने वाली रसोई गैस पर सरकार की ओर से किसी तरह की सब्सिडी नहीं दी जा रही है। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विपणन कंपनियों को यह अधिकार होगा कि वे वैश्विक बाजार के मुताबिक के गैस के दाम तय कर सकेंगी।


फिलहाल देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी आईओसी को प्रति सिलेंडर 305 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। खुले बाजार में रसोई गैस के एक सिलेंडर की कीमत 600 रुपये है।यही नहीं, उपभोक्ता को अब प्रति फाइबर सिलेंडर 3000 रुपये जमानत राशि के रूप में जमा करानी पड़ेगी, जो सामान्य सिलेंडर के लिए दी जाने वाली जमानत राशि से करीब दोगुनी है।


तेल विपणन करने वाली तीनों कंपनियों ने करीब 200,000 फाइबर ग्लास वाले सिलेंडर खरीदने की योजना बना रहे हैं। एचपीसीएल के एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह के सिलेंडर निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निविदा जारी किए जाएंगे।


मुंबई स्थित एचपीसीएल के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पारदर्शी सिलेंडर को लेकर हम अभी उपभोक्ताओं की पसंद का अध्ययन कर रहे हैं। खास बात यह कि इस पारदर्शी सिलेंडर में गैस भरने के लिए अलग से कोई प्लांट लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि सामान्य  प्लांट में ही थोड़ी-बहुत तब्दीली के जरिए उसमें गैस भरी जा सकेगी।


पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यह सिलेंडर पूरी तरह पारदर्शी होगा, ऐसे में कोई भी अनधिकृत बिक्रेता गैस में पानी मिलाकर नहीं बेच सकेगा। यही नहीं, फाइबर के ये सिलेंडर वजन में भी बहुत हल्के होंगे।आईओसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब कोई भी व्यक्ति 600-650 रुपये देकर यह रसोई गैस खरीद सकेगा, जबकि सब्सिडी के साथ अभी रसोई गैस इससे करीब आधी कीमत पर उपलब्ध है।


दरअसल, योजना की व्यावहारिकता को लेकर अभी भी अनिश्चितता बरकरार है, ऐसे में विपणन कंपनियां इस योजना को लागू करने के लिए कोई नियत तिथि तय नहीं कर पा रही है। बीपीसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी इस बारे में निश्चित रूप नहीं कहा जा सकता है कि खुले बाजार में ऊंची कीमत पर रसोई गैस खरीदने में उपभोक्ता कितनी रुचि दिखाते हैं।

First Published : March 24, 2008 | 10:19 PM IST