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Budget 2024: ज्यादा देसी माल हो इस्तेमाल! मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा

बजट में सरकारी खरीद के लिए रखी जा सकती है ज्यादा स्थानीय सामग्री के इस्तेमाल की शर्त

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असित रंजन मिश्र   
Last Updated- July 09, 2024 | 10:50 PM IST

Budget 2024: मेक इन इंडिया अभियान के जरिये देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार इस बार के बजट में स्थानीय सामग्री का इस्तेमाल बढ़ाने का ऐलान कर सकती है। इसके तहत कुछ क्षेत्रों को छोड़कर बाकी में सार्वजनिक खरीद के लिए देसी सामग्री के इस्तेमाल की न्यूनतम सीमा बढ़ाए जाने की संभावना है।

फिलहाल जो कंपनियां कम से कम 50 प्रतिशत देसी सामग्री के साथ उत्पादन करती हैं, सेवाएं देती हैं या कारोबार करती हैं, उन्हें पहली श्रेणी का आपूर्तिकर्ता कहा जाता है। सरकारी खरीद में सबसे ज्यादा तरजीह इन्हें ही दी जाती है।

उत्पादन, सेवा या कामकाज में 20 से 50 फीसदी स्थानीय माल इस्तेमाल करने वाले दूसरी श्रेणी के आपूर्तिकर्ता होते हैं। 20 फीसदी के कम स्थानीय सामग्री प्रयोग करने वाले को गैर स्थानीय आपूर्तिकर्ता कहा जाता है।

सार्वजनिक खरीद आदेश के तहत इस श्रेणी को सबसे कम तवज्जो दी जाती है और कोई खास जरूरत पहली या दूसरी श्रेणी के स्थानीय आपूर्तिकर्ता पूरी नहीं कर पाते हैं तभी इन्हें ठेका दिया जाता है। एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘विभिन्न मंत्रालयों के बीच बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है। आगामी बजट में इस प्रस्ताव का जिक्र हो सकता है और इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना है।’

बिज़नेस स्टैंडर्ड ने 13 मई को छापा था कि रक्षा उत्पादन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, खदान, रेलवे, बिजली, बंदरगाह, जहाज एवं जलमार्ग क्षेत्र के लिए काम करने वाले उत्पादकों को इस बंदिश से छूट दी जा सकती है। मगर अधिकारी ने बताया कि छूट की सूची अभी अंतिम तौर पर तैयार नहीं की गई है। शुरुआत में स्टील, रसायन, दवा, वाहन और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे क्षेत्रों पर अधिक स्थानीय सामग्री के इस्तेमाल की शर्त लगाई जा सकती है।

यह उपाय तब किया जा रहा है, जब बैंक ऑफ बड़ौदा ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2025 की निजी क्षेत्र ने जून तिमाही में केवल 44,300 करोड़ रुपये के नए निवेश की घोषणा की है। यह 20 साल में सबसे कम आंकड़ा है। इससे भी कम निवेश की घोषणा जून 2005 में हुई थी।

स्थानीय सामग्री की जरूरत बढ़ाए जाने से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी बढ़ सकता है क्योंकि विदेशी कंपनियों को सरकारी खरीद के बड़े और आकर्षक बाजार तक पहुंचने के लिये भारत में ठिकाना बनाना ही होगा। संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन ने पिछले महीने कहा था कि 2023 में दुनिया भर में एफडीआई की आवक केवल 2 फीसदी घटी मगर भारत में यह 43 फीसदी घटकर 28 अरब डॉलर रह गई।

गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस के सीईओ पी के सिंह ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था कि मेक इन इंडिया को इससे बहुत दम मिलेगा।

First Published : July 9, 2024 | 10:02 PM IST