दशहरी आम कोरोना से हुआ तमाम

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 5:31 AM IST

कोरोना महामारी के कारण निर्यात में कमी और विदेश से ऑर्डर की किल्लत के कारण कम पैदावार के बाद भी देसी बाजारों में आम की बहार है। इस बार विदेश में नहीं के बराबर माल गया है, जिससे दशहरी आम का पूरा कारोबार स्थानीय बाजारों पर ही टिक गया है। आवक ज्यादा होने की वजह से यहां भी दशहरी के दाम औंधे मुंह गिर गए हैं। इससे आम के शौकीन तो खुश हैं मगर कमजोर पैदावार के बाद भी दाम में गिरावट से बागवान मायूस हैं।
उत्तर प्रदेश में मलिहाबाद का मशहूर दशहरी आम 15-20 रुपये के थोक भाव में बिक रहा है, जबकि अभी आधा सीजन बाकी रह गया है। सीजन के दौरान मंडी में दिखने वाली चहल-पहल इस बार गायब है और गिने-चुने कारोबारी ही खरीद के लिए पहुंच रहे हैं। कारोबारियों को डर है कि निर्यात के ऑर्डर नहीं आए और मुंबई, दिल्ली के आढ़तियों ने माल नहीं उठाया तो दाम और नीचे चले जाएंगे। जो कारोबारी दोनों महानगरों में आम भेज चुके हैं, वे भी घाटे में हैं क्योंकि कोरोना के कारण माल मंडी से बाहर जा ही नहीं रहा है और व्यापारी भाड़ा तक नहीं निकाल पा रहे हैं।
निर्यात के नाम पर इस बार महज 10 टन दशहरी दुबई गया है, जबकि पिछले साल 120 टन आम दुबई, ओमान, कतर, दोहा, अबूधाबी और यूरोप भेजा गया था। थोक व्यापारियों के मुताबिक मौसम खराब रहने से दशहरी की गुणवत्ता भी इस बार अच्छी नहीं रही, जिससे निर्यात में दिक्कत आ रही है। निर्यातक बता रहे हैं कि महामारी के डर से भी विदेशी खरीदार ऑर्डर नहीं दे रहे हैं। आम तौर पर निर्यात के ज्यादातर ऑर्डर अप्रैल-मई में आ जाते थे मगर इस बार लॉकडाउन के कारण उन दिनों धेले भर का भी कारोबार नहीं हुआ। मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष इंसराम अली ने बताया कि मौसम खराब होने और लॉकडाउन के दौरान दवा छिड़काव तथा देखभाल नहीं हो पाने के कारण दशहरी की पैदावार इस बार आधी ही रही। विदेशी मांग खत्म होने से नुकसान दोहरा हो गया।
आम कारोबारी शबीहुल हसन ने बताया कि पिछले साल मलिहाबाद-काकोरी पट्टी में 45 लाख टन दशहरी हुआ था मगर इस बार पैदावार बमुश्किल 25 लाख टन रहेगी। उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल से सीजन की शुरुआत में दशहरी आम का भाव 30-40 रुपये किलो रहा करता था, जो बाद में गिरकर 25 रुपये किलो होता था। मगर इस बार डाल का दशहरी बाजार में आते ही दाम 15-20 रुपये किलो रह गए हैं। आने वाले दिनों में निर्यात मांग नहीं उठी तो गिरते भाव से दशहरी कारोबारियों को तगड़ी चपत लगना तय है। पिछले दो साल से दशहरी का सालाना कारोबार 2,400 से 2,500 करोड़ रुपये रहा है मगर इस बार कारोबार 600 से 800 करोड़ रुपये पर सिमट जाने की आशंका है।

First Published : July 2, 2020 | 11:45 PM IST