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NMC के केवल जनेरिक दवाएं लिखने के विरोध में आया IMA

देश के 32 राज्यों और 1760 स्थानीय शाखा वाले IMA ने NMC के इस कदम को ‘गैरकानूनी’ करार दिया है

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सोहिनी दास   
Last Updated- August 14, 2023 | 11:16 PM IST

भारत के चिकित्सा विशेषज्ञों के शीर्ष निकाय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केवल जनेरिक दवाएं लिखने के कदम का विरोध किया है। राष्ट्रीय चिकित्सा काउंसिल (एनएमसी) ने डॉक्टरों के लिए जनेरिक दवाएं लिखना अनिवार्य करने के लिए कदम उठाया है। आईएमए से करीब चार लाख डॉक्टर जुड़े हैं। आईएमए ने इसे रोकने की मांग करते हुए केंद्र से व्यापक चर्चा कराने की मांग की है।

एनएमसी एक सरकारी निकाय है जो स्वास्थ्य शिक्षा और स्वास्थ्य विशेषज्ञों को विनियमित करता है। देश के 32 राज्यों और 1760 स्थानीय शाखा वाले आईएमए ने एनएमसी के इस कदम को ‘गैरकानूनी’ करार दिया है। भारत ब्रांडेड जनेरिका दवाओं का मार्केट है और यहां औषधि कंपनियां मिलते जुलते नामों से अपने उत्पाद पेश करती हैं। लिहाजा एक ही मोलेक्यूल को विभिन्न नामों से बेचा जा सकता है।

एनएमसी ने 2 अगस्त को ‘पंजीकृत चिकित्सा चिकित्सकों के व्यावसायिक आचरण से संबंधित विनियम’ जारी किया। इसमें कहा गया, ‘हर आरएमपी (रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर) को जनेरिक दवाएं स्पष्ट लिखनी चाहिए। आरएमपी तार्किक रूप से दवाएं लिखे। उसे बेवजह दवाएं लिखने से बचना चाहिए।’

इस बारे में आईएमए ने सोमवार को जारी बयान में कहा, ‘यह आईएमए के लिए अत्यंत चिंता का मुद्दा है। इससे मरीजों की देखभाल और सुरक्षा प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होती है। सही ढंग से जनेरिक दवाओं को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।’ आईएमए ने कहा, ‘देश में गुणवत्ता नियंत्रण बेहद कमजोर है। दवा की गुणवत्ता जांच किए बिना दवाई लिखे जाने पर व्यावहारिक रूप से कोई गारंटी नहीं होगी और यह मरीज के लिए नुकसानदायक हो सकता है। भारत में बनने वाली दवाओं में 0.1 फीसदी दवाओं की ही गुणवत्ता परीक्षण होता है।’

उसने कहा कि इस आदेश के कारण मरीज के स्वास्थ्य के देखभाल की जिम्मेदारी प्रशिक्षित व जिम्मेदार डाक्टर की जगह दवा विक्रेता पर आ जाएगी। दवा विक्रेता का मकसद केवल अपनी दुकान पर उपलब्ध दवाएं बेचना है।

First Published : August 14, 2023 | 11:16 PM IST