वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के कंपनी परिणामों से संकेत मिलता है कि राजस्व और लाभ में वृद्धि कमजोर पड़ी है। पिछले वर्ष की अंतिम तिमाही की तुलना में कारोबारी राजस्व और लाभ में कमी आई है।
हालांकि सालाना आधार पर इसमें ठोस वृद्धि देखने को मिली है। लाभ में हुई वृद्धि में बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और रिफाइनरियों आदि का योगदान अधिक रहा। एक साल पहले की तुलना में गैस और कच्चे तेल की कीमतों में कमी आई है।
साल भर पहले यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति बाधित होने की आशंका उत्पन्न हुई थी जिससे कीमतें बढ़ी थीं। ईंधन कीमतों में कमी ने रिफाइनरियों के लाभ में इजाफा किया। सालाना आधार पर रिफाइनरियों का लाभ दोगुना बढ़ गया।
बैंक और वित्तीय सेवाओं को भी ब्याज दरों में इजाफे को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने से फायदा हुआ और उनका शुद्ध ब्याज मार्जिन सुधरा। ब्याज की लागत अभी भी बढ़ रही है लेकिन इजाफे की गति धीमी रही है। तिमाही आधार पर कच्चे माल की लागत में कमी आई है। ईंधन कीमतें कम हैं और कर्मचारियों से संबंधित लागत बढ़ने के हिसाब से देखें तो कारोबार नए रोजगार नहीं दे रहे हैं।
अगर अस्थिरता वाले रिफाइनरी और वित्तीय क्षेत्रों को छोड़ दिया जाए तो अन्य क्षेत्रों के राजस्व में सालाना आधार पर 11.5 फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि तिमाही आधार पर राजस्व 5 फीसदी घटा है। उनके परिचालन लाभ में सालाना आधार पर 8.3 फीसदी का इजाफा हुआ जबकि तिमाही आधार पर इसमें 5 फीसदी की कमी आई। कर पश्चात लाभ सालाना आधार पर 9.6 फीसदी बढ़ा जबकि तिमाही आधार पर इसमें 10.7 फीसदी की कमी आई। यह क्रमिक मंदी का संकेत है।
समझदार निवेशक भारी बारिश के मौसमी प्रभाव को निकल जाने देंगे जिसने विनिर्माण उद्योग पर विपरीत असर डाला है। इसके कारण स्टील और सीमेंट की बिक्री प्रभावित हुई है। मौसमी कारकों के अलावा औद्योगिक धातु के क्षेत्र में वैश्विक मांग कमजोर हुई है। इस वजह से भी लोहा, तांबा, एल्युमीनियम, जस्ते और सीसे की कीमतें कम हुई हैं।
कुल मिलाकर देखा जाए तो 525 सूचीबद्ध कंपनियों के परिणाम दिखाते हैं कि राजस्व में सालाना आधार पर 8 फीसदी का इजाफा हुआ। वहीं परिचालन लाभ 33 फीसदी बढ़ा जबकि कर पश्चात लाभ 35.5 फीसदी रहा।
बहरहाल, तिमाही आधार पर राजस्व 2.5 फीसदी कम रहा, परिचालन लागत 7 फीसदी बढ़ा जबकि कर पश्चात लाभ 5 फीसदी बढ़ा। बैंकों का कर पश्चात लाभ सालाना आधार पर 48 फीसदी बढ़ा जबकि तिमाही आधार पर इसमें 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। रिफाइनरियों का कर पश्चात लाभ 199 फीसदी बढ़ा और सालाना आधार पर उसमें 11 फीसदी की वृद्धि हुई।
उपभोक्ता आधारित क्षेत्रों की बात करें तो दैनिक उपयोग की उपभोक्ता वस्तुओं में सालाना और तिमाही दोनों आधारों पर मामूली वृद्धि देखने को मिली। घरेलू मांग अभी भी कमजोर है। एक अन्य उपभोक्ता आधारित क्षेत्र यानी वाहन तथा कलपुर्जा क्षेत्र की आपूर्ति श्रृंखला में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है।
टाटा मोटर्स बदलाव हासिल करने में कामयाब रही है। अच्छा मॉनसून दूसरी तिमाही में दूरदराज इलाकों में मांग बढ़ा सकता है। सबसे बड़ी निराशा आईटी क्षेत्र से मिली जिसके परिणाम अत्यधिक खराब रहे। स्थिर मुद्रा में देखें तो आईटी सॉफ्टवेयर क्षेत्र का राजस्व सालाना आधार पर 11 फीसदी बढ़ा। उसके परिचालन लाभ में भी 11 फीसदी और कर पश्चात लाभ में सालाना आधार पर 10.8 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली।
तिमाही आधार पर इसका राजस्व 0.2 फीसदी, परिचालन लाभ 4 फीसदी और कर पश्चात लाभ 5 फीसदी घटा। संकेत हैं कि पूरे वित्त वर्ष के दौरान आईटी सेवा क्षेत्र में वैश्विक मांग कमतर बनी रह सकती है।
कुल मिलाकर कई बड़ी सरकारी कंपनियों को अभी भी अपने परिणाम पेश करने हैं। यह रुझान स्पष्ट नजर आ रहा है। लाभ में कमी आ रही है और राजस्व वृद्धि भी तिमाही आधार पर धीमी पड़ी है। कच्चे माल की लागत में कमी आने से मार्जिन बरकरार रखने में मदद मिल सकती है। अच्छा मॉनसून दूरदराज इलाकों में खपत बढ़ा सकता है।