राजनीति

Jharkhand: चंपाई ने की लोकलुभावन योजनाओं की बारिश

चंपाई मंत्रिमंडल ने एक ही दिन में 40 से अधिक प्रस्तावों को मंजूरी दी है।

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रमणी रंजन महापात्र   
Last Updated- July 02, 2024 | 10:12 PM IST

कथित जमीन घोटाला मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बीते शुक्रवार को जमानत मिल गई, जिसके बाद से वह लगातार सुर्खियों में हैं और इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन भी समय बरबाद करते हुए नहीं दिख रहे हैं। चंपाई मंत्रिमंडल ने एक ही दिन में 40 से अधिक प्रस्तावों को मंजूरी दी है।

जानकार इस कदम को आगामी विधान सभा चुनावों में पार्टी के जीतने के रणनीतिक प्रयास के तौर पर देख रहे हैं, क्योंकि इससे पहले लोक सभा चुनावों में पार्टी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था। हेमंत सोरेन की रिहाई से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गठबंधन सरकार के भीतर बड़े फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं।

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि चंपाई विधान सभा चुनावों तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रह सकते हैं, जबकि हेमंत ने संकेत दिया है कि झामुमो उनकी भूमिका पर फैसला करेगा। हेमंत एक ऐसे राज्य में अभियान नेतृत्व कर रहे हैं जहां साल 2011 की जनगणना के अनुसार करीब 26 फीसदी आदिवासी या जनजातियां हैं।

आदिवासियों पर टिकी निगाहें

हाल ही में हुए लोक सभा चुनावों में झामुमो के नेतृत्व वाले ‘इंडिया’ गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बेहतर प्रदर्शन किया और राज्य की 14 सीटों में से अनुसूचित जनजाति आरक्षित सभी पांच सीटों पर जीत हासिल की। यह पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और ओडिशा के नतीजों के बिल्कुल विपरीत है, जहां भाजपा का दबदबा था।

राजनीतिक जानकार प्रदेश में ‘इंडिया’ गठबंधन को मिली इस सफलता का श्रेय आदिवासी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद मिली सहानुभूति,जनगणना में सरना आदिवासी धर्म के लिए एक अलग कोड की वकालत और धर्म के इतर उनकी अनूठी प्रथाओं और रीति-रिवाजों को स्वीकार करने को देते हैं।

आदिवासी जन परिषद के प्रमुख प्रेम साही मुंडा ने प्रदेश में चुनाव से पहले राहुल गांधी की रैलियों में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम (पेसा अधिनियम) और आदिवासियों के लिए वन अधिकारों के गैर-कार्यान्वयन को निर्णायक मुद्दा बताया।

हाल ही में गांडेय विधान सभा उप चुनाव से राजनीति में पदार्पण करने वालीं हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी भाजपा के खिलाफ मुखर हैं और अपने पति के खिलाफ अन्याय का आरोप लगा रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार चंदन मिश्र का कहना है, ‘एक कहानी गढ़ी गई कि भाजपा आदिवासियों की जमीन छीन लेगी। साथ ही भाजपा ने भी अपने आदिवासी नेताओं को भुनाने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा किया।’

राजनीतिक जानकार सुधीर पाल को लगता है कि भाजपा इस बार पिछली गलतियां नहीं दोहराएगी। मरांडी को आगामी चुनावों में पार्टी का चेहरा बनाया गया है और शायद यह रणनीतिक बदलाव का संकेत देता है क्योंकि पड़ोसी क्योंझर जिले के आदिवासी नेता मोहन चरण माझी को ओडिशा राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ झारखंड चुनावों का भाजपा ने सह-प्रभारी नियुक्त किया है। हिमंत भी अब आदिवासी नेताओं के सक्रिय तौर पर जुड़ रहे हैं और उनके साथ हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन भी शामिल हैं, जिन्होंने अब भाजपा का दामन थाम लिया है।

उन्होंने मीडिया से कहा, ‘हमें आदिवासियों की बुनियादी समस्याओं को हल करना होगा। मैं यह समझने की कोशिश कर रहा हूं कि हम आदिवासी समाज की पहचान, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास के लिए कैसे काम कर सकते हैं।’

पाल को लगता है, ‘राज्य के लिए भाजपा के प्रभारियों के नाम महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि चौहान पिछड़ा वर्ग से आते हैं और शर्मा अपने तेजतर्रार भाषणों के लिए जाने जाते हैं। अग्रणी संस्थाओं को कहानी बदलने की जिम्मेदारी दी गई है क्योंकि आदिवासियों के बीच गिरती स्वीकार्यता के बीच भाजपा गैर-आदिवासी वोटों को मजबूत करने पर ध्यान देने की योजना बना रही है।’

गठबंधन का महत्त्व

कुर्मी जाति से ताल्लुक रखने वाले आजसू के एकमात्र सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि संभावना जताई जा रही है कि भाजपा अपने सहयोगी दलों को अधिक सीटें दे सकती है। आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो पहले से ही मौजूदा सरकार की गलत नीतियों और शासन प्रथाओं की आलोचना करना शुरू कर चुके हैं।

मिश्र ने कहा, ‘कांग्रेस की कमजोर संगठनात्मक व्यवस्था और धन शोधन मामले में कांग्रेस के आलमगीर आलम जैसे मंत्रियों की गिरफ्तारी से भाजपा को फायदा मिल सकता है। कांग्रेस के लिए साल 2019 वाले प्रदर्शन को दोहराना मुश्किल हो सकता है, जिसका असर ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रदर्शन पर पड़ेगा।’

वादों पर ध्यान

पाल ने कहा, ‘चंपाई ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी क्षमता दिखा दी है। मगर वादों को पूरा करने के लिए उनके पास अब ज्यादा समय नहीं है।’ पिछले कुछ महीनों से मुख्यमंत्री सक्रिय रहे हैं। उन्होंने करीब 314 करोड़ रुपये की कई योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया है और पड़ोसी राज्य बिहार के तर्ज पर ही जातिगत सर्वेक्षण की भी मंजूरी दी है।

हाल में उनके कैबिनेट ने प्रदेश की 45 लाख महिलाओं के लिए हर महीने 1 हजार रुपये की आर्थिक सहायता, 4.14 लाख उपभोक्ताओं के लिए हर महीने 200 यूनिट तक निःशुल्क बिजली और प्रति परिवार 15 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा की मंजूरी दी है, जिससे राज्य के 33.4 लाख परिवारों को मदद मिलेगी और यह भाजपा शासित केंद्र सरकार के आयुष्मान भारत योजना के इतर होगी।

सरकार ने 1.91 लाख किसानों के दो लाख रुपये तक के ऋण को माफ करने की भी घोषणा की है और अगले तीन महीनों के दौरान 40 हजार सरकारी नौकरियों का वादा किया है। साथ ही सरकार ने कहा है कि वह निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाएगी और स्वरोजगार के लिए भी आर्थिक सहायता करेगी।

First Published : July 2, 2024 | 10:12 PM IST