दिल्ली सरकार ने महंगाई की मार के बीच श्रमिकों को राहत देने के लिए भले ही न्यूनतम वेतन में 442 से 572 रुपये इजाफा कर दिया हो, लेकिन श्रमिक खासकर दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों की फैक्टरियों में काम करने वाले वेतन बढ़ोतरी से महरूम रह सकते हैं।
दिल्ली के ज्यादातर फैक्टरी मालिक महंगाई भत्ते के रूप में बढ़े हुए न्यूनतम वेतन को देने से इनकार कर रहे हैं। उद्यमियों का तर्क है कि महंगाई भत्ते का मामला अदालत में लंबित है। हालांकि दिल्ली सरकार के उपक्रमों में अनुबंध के तहत काम करने वाले और अन्य कारोबारी प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों को बढे हुए न्यूनतम वेतन का लाभ मिल सकता है।
दिल्ली के उद्यमियों के संगठन अपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री ऑफ एनसीटी दिल्ली ने दिल्ली उच्च न्यायालय में मार्च 2017 में न्यूनतम वेतन वृद्धि के खिलाफ दायर याचिका में आवेदन दाखिल कर महंगाई भत्ते की गणना पर आपत्ति जताई थी। चैंबर के उपाध्यक्ष रघुवंश अरोडा ने बताया कि महंगाई भत्ते का मामला अभी भी उच्च न्यायालय में लंबित है और अगली सुनवाई 14 अगस्त को होनी है। सरकार गलत तरीके से गणना कर ज्यादा महंगाई भत्ता बढ़ा रही है। चैंबर के सदस्य करीब 60,000 उद्यमी तब तक बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता नहीं देंगे, जब तक अदालत में लंबित मामले पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता है। उद्यमी 3 मार्च 2017 को जारी अधिसूचना के अनुसार न्यूनतम वेतन देंगे।
दिल्ली फैक्टरी ओनर्स फेडरेशन के अध्यक्ष राजन शर्मा ने बताया कि अदालत ने पहले एक सुनवाई के दौरान कहा था कि अगर सरकार बढा हुआ वेतन न देने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करती है, तो वे अदालत के पास आ सकते हैं। ऐसे में अब सरकार आगे कार्रवाई करती है तो उद्यमी अदालत में नया आवेदन दायर करेंगे। फेडरेशन के सदस्य फिलहाल बढा हुआ वेतन नहीं देंगे।