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NCLAT ने Byju’s मामले में विवेक से नहीं किया काम: SC

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, 'एनसीएलएटी का आदेश बेतर्कपूर्ण है, मामला नए सिरे से जांचा जाएगा'

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- September 25, 2024 | 10:53 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील पंचाट (एनसीएलएटी) के उस आदेश पर चिंता जताई, जिसमें संकटग्रस्त एडटेक फर्म बैजूस के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही बंद कर दी गई। न्यायालय ने कहा कि एनसीएलएटी ने इस मामले में ‘अपना दिमाग बिल्कुल भी नहीं लगाया।’

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अमेरिका की ऋणदाता ग्लास ट्रस्ट कंपनी की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘एनसीएलएटी के आदेश में तर्क देखें, जो सिर्फ एक पैरा (पैरा 44) है। यह बिल्कुल भी दिमाग लगाने का संकेत नहीं देता। पंचाट को फिर से अपना दिमाग लगाना चाहिए और इसे नए सिरे से देखना चाहिए।’ ग्लास ट्रस्ट ने एडटेक फर्म और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के बीच 158 करोड़ रुपये के निपटान को मंजूरी देने वाले एनसीएलएटी के आदेश को चुनौती दी है।

न्यायालय ने बैजूस के वकीलों से यह भी पूछा कि जब कई अन्य ऋणदाता मौजूद हैं तो उन्होंने समझौते के लिए सिर्फ बीसीसीआई को ही क्यों चुना। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने बैजूस के वकीलों से पूछा, ‘जब कर्ज की मात्रा इतनी बड़ी हो तो क्या कोई एक लेनदार यह कहकर निकल सकता है कि एक प्रमोटर मुझे पैसे देने को तैयार है? बीसीसीआई को क्यों चुना जाए और सिर्फ उसी के साथ निपटान समझौता क्यों किया जाए? वह भी अपनी निजी संपत्ति से? आज आप पर 15000 करोड़ का कर्ज है।’

न्यायालय ने संकेत दिया कि नए सिरे से सुनवाई के लिए इस मामले को फिर से अपील पंचाट के पास भेजा जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश का मानना है, ‘हम इसे फिर से एनसीएलएटी को भेजेंगे, उन्हें इस पर नए सिरे से विचार करने दीजिए, उन्हें अपना दिमाग लगाने दीजिए, पैसा कहां से आ रहा है?’

एनसीएलएटी ने 2 अगस्त को कहा था, ‘सबसे बड़े शेयरधारक और पूर्व प्रमोटर (रिजू रवींद्रन) द्वारा दी जा रही धनराशि का अमेरिकी ऋणदाताओं से कोई लेना-देना नहीं है, जिससे अदालत को निर्णय देने का अधिकार मिल
जाता है।’

यह भी कहा गया कि बीसीसीआई की ओर से पेश हुए तुषार मेहता ने कहा था कि वे ‘दागी’ धन स्वीकार नहीं करेंगे और यह धन भारत में अर्जित आय है। अदालत ने कहा कि यह धन उचित माध्यम से आ रहा है। अपील पंचाट ने अपने आदेश के पैरा 44 (जिसका उल्लेख मुख्य न्यायाधीश कर रहे थे) में कहा था, ‘हमने हलफनामे और अंडरटेकिंग का अवलोकन किया है और पाया है कि यह धन ऋजु रवींद्रन द्वारा अपने स्वयं के स्रोतों से सीडी में रखे गए अपने शेयरों की बिक्री से अर्जित किया गया है और ऐसे शेयरों की बिक्री पर आयकर का भुगतान किया गया है। अंडरटेकिंग में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह डेलावेयर कोर्ट द्वारा पारित 18.03.2024 के आदेश का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं।’

First Published : September 25, 2024 | 10:39 PM IST