यह सर्जरी विनोबा भावे शोध संस्थान (वीबीआरआई) के तत्वाधान में हुयी है ।
संस्थान के संस्थापक आशुतोष तिवारी ने पीटीआई भाषा को बताया कि क्लाउड मेडिसिन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की मदद ली जाती है ।
वीबीआरआई ने भारत और चीन में ‘‘क्लाउड मेडिसिन’’ के पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है जो कि अग्रिम चरण में है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व अध्यक्ष डाक्टर के.के. अग्रवाल ने क्लाउड मेडिसिन के बारे में बताया इस टेक्नोलॉजी में क्लाउड इंटरनेट पर डायग्नोसिस रिपोर्ट डालने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से लक्षण के आधार पर रोग का पता लग जाता है जिससे इलाज करना आसान हो जाता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में क्लाउड मेडिसिन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले समय में इस टेक्नोलॉजी के उपयोग की भारी संभावना है।
तिवारी ने बताया कि प्रयागराज जिले के 30 वर्षीय एक व्यक्ति के ह्रदय का वॉल्व बचपन से ही खराब था और इसे बदलने में 20-25 लाख रुपये का खर्च आता है। हालांकि जब इस मरीज की स्थिति के बारे में लंदन स्थित डाक्टर योगेश शुक्ला को पता चला तो उन्होंने सर्जरी करने में रुचि दिखाई । डा शुक्ला ओपन हार्ट सर्जरी के विशेषज्ञ हैं ।
तिवारी ने बताया कि गत बुधवार को मुंबई के एक निजी अस्पताल में इस आपरेशन को पूरा करने में 18 घंटे से अधिक का समय लगा। हालांकि मरीज महज चार घंटे में होश में आ गया, जबकि इस तरह की सर्जरी में मरीज को होश में आने में 24 से 48 घंटे लग जाते हैं। इस आपरेशन में मरीज को कृत्रिम वॉल्व लगाया गया जिसे जापान में विकसित किया गया था।
उन्होंने बताया कि संस्थान का लक्ष्य क्लाउड मेडिसिन के तहत ह्रदय रोग से ग्रस्त ऐसे गंभीर मरीजों का इलाज कराना है जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। वर्तमान में इस काम के लिए संस्थान से दुनियाभर के 300 डाक्टर जुड़े हैं। संस्थान अपना मुख्यालय स्वीडन में में स्थापित कर रहा है, जबकि इसका एक नवप्रवर्तन केंद्र दिल्ली और एक केंद्र चीन के उहान में स्थित है।