झूम खेती से निजात पाने में अरूणाचल प्रदेश बढ़ रहा सफलता की ओर | PTI / August 09, 2013 | | | | |
झूम खेती को काटो और जलाओ खेती भी कहते हैं जिसके तहत पेड़-पौधों को काटकर जमीन साफ की जाती है और फिर काटे गए पेड़-पौधे जला दिए जाते हैं । जिस मिट्टी पर काटे गए पेड़-पौधे जलाए जाते हैं वह पोटाश से लैस हो जाती है जिससे मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ जाते हैं । अरूणाचल प्रदेश के कृषि विभाग की ओर से बताया गया कि खेती के पारंपरिक तौर-तरीके अपनाने पर केंद्र के जोर के बाद 72 फीसदी वन क्षेत्र वाले अरूणाचल प्रदेश में पिछले 10 सालों में झूम खेती के तहत आने वाला क्षेत्र 1,10,000 हेक्टेयर से घट कर 84,000 हेक्टेयर रह गया है । कृषि विभाग के सलाहकार ए के पुरकायस्थ ने पीटीआई को बताया, पेड़ों को जलाने की वजह से करीब 8.4 लाख मीट्रिक टन बायोमास खत्म हो जाती है जिससे कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और अन्य गैसें बड़ी मात्रा मंे उत्सर्जित होती हैं । उपरी इलाकों में धान और मक्के की खेती कर उत्सर्जन में कमी लायी गयी है । जारी भाषा |