चालू खाता घाटा 0.5-0.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद | भाषा / नई दिल्ली March 12, 2015 | | | | |
चालू खाते का घाटा अगले वित्त वर्ष के दौरान लगभग आधा होकर सकल घरेलू उत्पाद के 0.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो चालू वित्त वर्ष के दौरान कच्चे तेल की कीमत में रिकॉर्ड गिरावट के मद्देनजर एक प्रतिशत से थोड़ा अधिक रह सकता है। यह बात विश्लेषकों ने कही। एचएसबीसी ने आज एक नोट में कहा, 'आने वाले दिनों में गैर-तेल आयात अधिक रहने, पश्चिम एशियाई देशों से प्रवासियों द्वारा कम विदेशी मुद्रा भेजे जाने और निर्यात के दृष्टिकोण में नरमी के बावजूद हमारा मानना है कि कच्चे तेल आयात मूल्य में नरमी से ही वित्त वर्ष 2015-16 में चालू खाते का घाटा (सीएडी) आधा होकर 0.6 प्रतिशत पर आने के लिए पर्याप्त होगा जो इससे पिछले वर्ष 1.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।'
सिंगापुर की ब्रोकरेज संस्था डीबीएस बैंक के मुताबिक तेल की कीमत का रुझान अगले साल के चालू खाते के घाटे में सुधार के स्तर के लिए महत्त्वपूर्ण होगा। डीबीएस ने कहा, 'वित्त वर्ष 2015-16 में चालू खाते का घाटा घटकर 0.5-1 प्रतिशत पर आ सकता है।' यह इस अनुमान पर आधारित है कि कच्चा तेल का दाम करीब 50-60 डॉलर के आसपास रहेगा। वैश्विक एजेंसी मूडीज ने कहा कि वृद्धि में सुधार और सोने का आयात हाल में उदार बनाने से आने वाली तिमाहियों में आयात बढ़ सकता है लेकिन जिंस मूल्य में नरमी से चालू खाते के घाटे में उल्लेखनीय वृद्धि पर अंकुश बना रहेगा। रेटिंग एजेंसी ने कहा ''हमें उम्मीद है कि चालू खाते के घाटे की विदेशी पूंजी प्रवाह से पर्याप्त भरपाई हो सकेगी जिससे इस साल भुगतान संतुलन अधिशेष और मुद्रा भंडार बढ़ेगा।'
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक एक अनुसंधान पत्र में कहा कि उसे वित्त वर्ष 2015-16 के बाद चालू खाते का घाटा बढऩे की आशंका है हालांकि यह धीरे-धीरे होगा। दिसंबर 2014 में समाप्त तिमाही के दौरान सीएडी दोगुना बढ़कर 8.2 अरब डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद का 1.6 प्रतिशत हो गया जो पिछले साल इसी अवधि में 4.2 अरब डॉलर यानी 0.9 प्रतिशत था। हालांकि सितंबर 2014 में समाप्त तिमाही से यदि इसकी तुलना की जाए तो यह 10.1 अरब डॉलर से घटकर 8.2 अरब डॉलर रह गया। सितंबर तिमाही में यह जीडीपी का 2 प्रतिशत रहा था और दिसंबर तिमाही में घटकर 1.6 प्रतिशत रह गया।
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