विदेश के उलट भारत में एक अनूठी बयार बह रही है।
मंदी के डंडे से बिलबिलाए तमाम देशों में आर्थिक संकट की वजह से हजारों लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है, लेकिन भारत में रोजगार के बेशुमार मौके आ रहे हैं। पिछले एक हफ्ते में ही देश में कंपनियों ने लगभग 40,000 नई नियुक्तियों के ऐलान किए हैं।
निजी क्षेत्र की बीमा कंपनी मेटलाइफ इंडिया तो रोजगार के लिए मेला ही शुरू करने जा रही है। कंपनी कुछ समय में 2,000 प्रबंधकों की नियुक्ति करेगी और उसके अलावा 30,000 सलाहकारों को नियुक्त करने के बारे में भी कंपनी सोच रही है।
वैश्विक प्रबंधन सलाहाकार कंपनी डेलॉयट भी पीछे नहीं है। कंपनी ने दो दिन पहले ही कहा है कि वह भारतीय कारोबार में लगभग 3,500 नए कर्मचारी नियुक्त करेगी। इंजीनियरिंग क्षेत्र की दिग्गज लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) ने भी कहा है कि अगले तीन वर्षों में नए कर्मचारी रखने की बात कही है। कंपनी 10,000 नई नियुक्तियां करेगी।
एलऐंडटी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ए एम नाइक ने कहा, 'अगले तीन साल के दौरान हमें अपनी विभिन्न कारोबारी इकाइयों में 10,000 नए कर्मचारियों के भर्ती होने की उम्मीद है। इनमें से 7,000 रोजगार गुजरात में दिए जाएंगे, जहां हम तीन नए साझे उपक्रम लगा रहे हैं। इसके तहत राज्य में आधा दर्जन संयंत्र लगाए जा रहे हैं, जिनमें बॉयलर, फॉर्जिंग और कास्टिंग शामिल हैं।'
कार बनाने वाली सबसे बड़ी भारतीय कंपनी मारुति सुजुकी ने भी मंदी की बात को दरकिनार कर दिया है। कंपनी ने कहा है कि वह मंदी में भी कर्मचारियों की नियुक्ति जारी रखेगी। कंपनी को चालू कैलेंडर वर्ष के अंत तक अपने कर्मचारियों की कुल संख्या बढ़कर 7,350 तक पहुंचने की उम्मीद है।
मारुति सुजुकी के कार्यकारी अधिकारी (मानव संसाधन, वित्त और सूचना प्रौद्योगिकी) एस वाई सिद्दीकी ने कहा, 'इस साल हम 60 से 70 नए कर्मचारियों की नियुक्ति करेंगे और इस तरह संख्या 7,350 कर लेंगे।'
दोपहिया दिग्गज बजाज ऑटो ने नई नियुक्तियों की बात तो नहीं कही है, लेकिन कंपनी ने छंटनी से साफ इनकार कर दिया है। बजाज ऑटो के अध्यक्ष राहुल बजाज ने कहा, 'आईटी सेवा क्षेत्र में लागत का लगभग 16 से 18 फीसद कर्मचारियों पर खर्च होता है। लेकिन हमारे यहां लागत में कर्मचारियों की हिस्सेदारी केवल 3.5 फीसद है। इसलिए छंटनी से हमें बहुत मदद नहीं मिलेगी।'