वैश्विक हुआ वाइब्रेंट गुजरात | सोहिनी दास / अहमदाबाद January 07, 2015 | | | | |
वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन से प्रभावित होकर पूर्वी यूरोप के देश सर्बिया ने अहमदाबाद की अंतराष्ट्रीय कारोबार सलाहकार फर्म ग्लोबल नेटवर्क से वाइब्रेंट सर्बिया आयोजित करने के लिए संपर्क साधा है। सर्बिया इस साल अगस्त में हुए वाइब्रेंट गुजरात के तर्ज पर यह आयोजन करने को इच्छुक है। सर्बिया सरकार के उद्योग विभाग ने ग्लोबल नेटवर्क से संपर्क कर इस कार्यक्रम को आयोजित करने में मदद मांगी है। सर्बिया के एक दल ने वाइब्रेंट गुजरात 2013 में हिस्सा लिया था और इस साल भी वह कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा है।
ग्लोबल नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगत शाह ने दावा किया, 'वे इस साल अगस्त महीने में 3 दिवसीय सम्मेलन व प्रदर्शनी का आयोजन करने को इच्छुक हैं। इसमें उनके प्रमुख नेता, साझेदार देश शामिल होने के आमंत्रित कि ए जाएंगे। इसमें बिजनेस टु बिजनेस बैठकों के साथ वर्गवार सेमीनारों, कंट्री सेमीनार, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी शामिल होगी। हर रोज इसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।'
उन्होंने कहा कि हिस्सेदार देश के रूप में भारत सहित अन्य देशों के साथ यह अंतरराष्ट्रीय के साथ साथ बाल्कन के लिए क्षेत्री आयोजन भी रहेगा। उन्होंने कहा, 'इसमें रोमानिया, बुल्गारिया, टर्की, क्रोएशिया, स्लोवानिया, बोस्निया, मेसेडोनिया, अल्बानिया के शामिल होने की संभावना है। इन देशों के साथ इटली, ग्रीस, हंगरी, इजरायल, रूस, यूरोपीय संघ, अमेरिका, चीन आदि भी अपने प्रतिनिधि भेज सकते हैं।'
वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन मौजूदा प्रधानमंत्री की सोच का परिणाम है, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मोदी के शब्दों में, 'गुजरात के विकास की यात्रा अब ऑटो पायलट मोड में है। वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन 2003 से हो रहा है। सभी हिस्सेदारों के समर्थन के चलते निवेश को बढ़ावा मिल रहा है। वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन न सिर्फ वैश्विक कार्यक्रम है, बल्कि इस कार्यक्रम के आयोजन के बाद इस पर वैश्विक स्तर पर चर्चा भी होती है।'
प्रधानमंत्री ने इस साल वाइब्रेंट सम्मेलन में वैश्विक कंपनियों के सीईओ की बैठक बुलाने का फैसला किया, जिसे अब 'दावोस आफ ईस्ट' के नाम से जाना जाता है। दावोस एक पहाड़ी स्थान है, जहां हर साल विश्व आर्थिक मंच की सालाना शीतकालीन बैठक होती है। इस कार्यक्रम में कारोबार और राजनीति क्षेत्र की प्रमुख हस्तियां शामिल होती हैं, साथ ही उसमें पत्रकार, बुद्धिजीवी होते हैं, जो स्वास्थ्य पर्यावरण जैसे अंतरराष्ट्रीय मसलों पर चर्चा करते हैं।
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