विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन (टीआईसी) को शेयरधारकों को जीरो कूपन परिवर्तनीय बॉन्ड (जेडसीसीबी) जारी करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। कंपनी ने शेयरधारकों को डिटैचेबल वारंट के साथ ये बॉन्ड मुहैया कराने के लिए अनुमति मांगी थी।
टीआईसी कंपनियों, म्युचुअल फंड और वेंचर कैपिटल फंड में निवेश करती है। कंपनी को रिजर्व बैंक से गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था की तरह कार्य करने के लिए पंजीकरण का प्रमाणपत्र भी मिला हुआ है। इस कंपनी में टाटा संस की हिस्सेदारी लगभग 55 फीसदी है। इसके अलावा प्रवासी भारतीयों की 0.46 फीसदी और विदेशी निवेशक संस्थाओं (एफआईआई) की 3.51 फीसदी हिस्सेदारी है।
टीआईसी ने एफआईपीबी से 448 करोड़ रुपये की कीमत के लगभग 6,892,078 जेडसीसीबी जारी करने की मांग की थी। कंपनी इक्विटी शेयरधारकों को पांच इक्विटी शेयरों के बदले डिटैचेबल वॉरंट के साथ एक जेडसीसीबी बॉन्ड देने की योजना बना रही थी। कंपनी का प्रत्येक जेडसीसीबी दो भागों में परिवर्तित हो सकता है।
इस बॉन्ड का पार्ट ए अगस्त 2009 को 300 रुपये के एक इक्विटी शेयर में परिवर्तित हो जाता जबकि, पार्ट बी जारी किए जाने के 18 महीनों के भीतर 350 रुपये के एक इक्विटी शेयर में तब्दील हो जाता।
कंपनी इक्विटी शेयरधारकों को कैश देने के बजाय जेडसीसीबी बॉन्ड जारी करने की योजना बना रही थी। अगस्त में हुई बैठक में उद्योग संवर्द्धन एवं नीति विभाग (डीआईपीपी) ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए मना कर दिया था कि निवेशक कंपनियों के गैर वित्तीय बैंकिंग कार्यों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा देने के लिए और ज्यादा सोच विचार की जरूरत है। इस बारे में एफआईपीबी ने रिजर्व बैंक से भी सलाह मांगी थी।
इस बारे में रिजर्व बैंक ने कहा था कि रिजर्व बैंक के अधिनियम 1934 की धारा 45 (1)(सी)के तहत शेयरों का अधिग्रहण गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों का वह कार्य है जिसके लिए उस संस्था को पंजीकरण के प्रमाणपत्र की जरूरत होती है। दरअसल ये निवेशक कंपनियां गैर बैंकिंग संस्थानों की वह श्रेणी है जिन्हें यह प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।
हालांकि डीआईपीपी ने कहा कि गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों की 18 गतिविधियों में 100 फीसदी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को मंजूरी है। उसे निवेश नहीं माना जाता है। डीआईपीपी ने बताया कि रिजर्व बैंक के मत अनुमति के जरिए आने वाले निवेश को अतिरिक्त गतिविधि माना जा सकता है, मान्य नहीं है। दरअसल स्वत: आए निवेश और अनुमति से आए निवेश के लिए कैबिनेट की अनुमति की जरूरत होती है।