एफएमसीजी उद्योग के लिए चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के वित्त परिणाम बाकी क्षेत्रों के मुकाबले काफी अच्छे रहे हैं।
बढ़ती लागत के कारण एफएमसीजी उद्योग ने भी उत्पादों की कीमत में 5-10 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। लेकिन इसके बाद भी दूसरी तिमाही में एफएमसीजी कंपनियों को मुनाफा हुआ है।
लेकिन तिमाही दर तिमाही के आधार पर ज्यादातर कंपनियों के मुनाफे में कमी आई है। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि आने वाली कुछ तिमाहियो में कंपनियां अपने मार्जिन को बढ़ाने की कोशिश करेंगी।
पिछले 6 महीनों में बढ़ती लागत के कारण घटते मार्जिन की समस्या से निपटने के लिए ज्यादातर एफएमसीजी कंपनियों ने अपने उत्पादों की कीमतों में औसतन 5-10 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। साबुन, कॉफी और डेयरी के उत्पादों जैसी रोजमर्रा की जरूरत वाले उत्पादों की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है।
हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड (एचयूएल) का परिचालन मार्जिन 1.54 फीसदी घटकर 11.8 फीसदी हो गया है। हालांकि कच्चे माल की कीमतों में गिरावट आई है लेकिन कमजोर होता रुपया इन कंपनियों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। इन सबके बाद भी कंपनियां हेजिंग करने की योजना नहीं बना रही हैं। एचयूएल के वाइस चेयरमैन और मुख्य वित्त अधिकारी डी सुंदरम ने बताया, 'एचयूएल हेजिंग नहीं करेगी और आपूर्तिकर्ताओं से ही माल खरीदेगी।'
आईटीसी के एफएमसीजी कारोबार इस तिमाही में ठीक ही रहा। कंपनी के कारोबार ने साल दर साल 30 फीसदी की विकास दर से 759 करोड़ रुपये की कमाई की है। पर्सनल केयर कारोबार में ज्यादा निवेश और बढ़ती लागत के कारण कंपनी का घाटा बढ़कर 117 करोड़ रुपये हो गया है।
जबकि कंपनी के सिगरेट कारोबार के वित्त परिणाम अच्छे ही रहे। एचयूएल की तरह गोदरेज के साबुन मार्जिन पर भी असर पड़ा है। लेकिन कंपनी का कहना है कि 2009-2010 में कच्चे माल की कीमत घटने के बाद कंपनियां साबुन के दामों में बढ़ोतरी करेंगी। रिटेल कारोबार (न्यू यू) में निवेश करने के कारण डाबर के मार्जिन पर भी असर पड़ा है।