संसदीय समिति ने भिन्न शुल्क प्रणाली पर जोर देते हुए कहा कि सर्वोच्च और उच्च न्यायालय को मामले सुलझाने के लिए कॉर्पोरेट संस्थाओं से ज्यादा शुल्क वसूलना चाहिए और गरीब और अनपढ़ों को शुल्क में छूट देनी चाहिए।
कानून एवं न्याय मामले की संसदीय स्थायी समिति ने कहा, 'समिति, कार्यपालिका और न्यायपालिका का ध्यान इस बात की ओर खींचना चाहती है कि वाणिज्यिक या कॉर्पोरेट मामले में बाकी मामलों से अलग अदालत शुल्क लगाने के बारे में फैसला किया जाए और न्यायालयों के नियमों और अन्य अदालत शुल्कों में संशोधन किया जाए।'
समिति के अध्यक्ष ई नचिअप्पन ने नाराजगी जताई कि कंपनियों को अदालत में प्रवेश मिल जाता है, जबकि आम लोगों को न्याय के लिए बरसों इंतजार करना पड़ता है।