फॉक्सवैगन एजी बाजार कीमत के आधार पर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी है।
पोर्श एसई की ओर से जर्मनी कार निर्माता कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 75 प्रतिशत तक बढ़ाए जाने की योजना की घोषणा के बाद फॉक्सवैगन की बाजार कीमत में इजाफा हुआ है। शॉर्ट-सेलर की ओर से मांग बढ़ोतरी को देखते हुए कंपनी ने यह योजना बनाई है।
कार निर्माता कंपनी के शेयरों में जबरदस्त इजाफा होने के साथ ही जर्मन डीएएक्स स्टॉक एक्सचेंज के ऑपरेटर डयूश बोर्स का कहना है कि वह एक्सचेंज में ब्लू चिप कंपनियों में शामिल फॉक्सवैगन के शेयरों का वेटेज कम करेंगे।
मंगलवार देर रात को जारी अपने एक वक्तव्य में डयूश बोर्स ने कहा हे कि वह फॉक्सवैगन के वेटेज को डीएएक्स इंडेक्स में अगले सोमवार को शुरू होने वाले सप्ताह में 10 प्रतिशत कर देंगे। फॉक्सवैगन की बाजार कीमत अमेरिका की तेल कंपनी एक्सॉन मोबिल कॉर्पोरेशन को पछाड़ते हुए 30 सदस्यों वाले डीएएक्स इंडेक्स में 27 प्रतिशत बढ़ गई।
फ्रैंकफर्ट के एक कारोबारी का कहना है, 'स्टॉक एक्सचेंज ऑपरेटर का फैसला फॉक्सवैगन में शॉर्ट सेलरों को कुछ राहत पहुंचाएगा और यह खासतौर पर डीएएक्स इंडेक्स के लिए अच्छा है।'
पोर्श का कहना है कि वह अपनी हिस्सेदारी 42.6 प्रतिशत से बढ़ाएगी, जिसके लिए कंपनी अपने सौदे को अंतिम रूप देने के लिए कुछ शॉर्ट सेलरों की मदद लेगी। ब्लूमबर्ग की ओर से एकत्रित किए गए आंकड़ों के अनुसार इस साल फॉक्सवैगन ने 6 गुना तरक्की कर 29,400 करोड़ यूरो या 36,700 करोड़ डॉलर की कंपनी बन चुकी है, जबकि एक्सॉन मोबिल कॉर्पोरेशन की कल तक बाजार कीमत 34,300 करोड़ डॉलर थी।
911 स्पोट्र्स कारों वाली पोर्श कंपनी 2005 से फॉक्सवैगन के शेयरों को इक्ट्ठा कर रही है, ताकि अपनी सबसे बड़ी आपूर्तिकर्ता कंपनी के साथ गठजोड़ को सुरक्षित रख सके। प्रतिभूति कर्ज की विशेषज्ञ कंपनी स्पिटलफिल्ड्स के वरिष्ठ कारोबारी सलाहकार एड ओलिवर का कहना है, 'शॉर्ट सेलिंग की तरफ जिस मानसिकता के साथ आगे बढ़ा जा रहा है, उसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि शुरू में काफी सारा पैसा मिले'। आगे उनका कहना है, 'लेकिन हो सकता है कि आप इस सारे पैसे को हार जाएं, जब आप अपना सौदा पूरा कर रहे हैं। इसकी कोई सीमा नहीं है।'
फॉक्सवैगन के शेयर लगभग 12.9 प्रतिशत 23 अक्टूबर तक कर्ज में थे, ज्यादातर शॉर्ट सेल के लिए, लंदन की एक कंपनी डाटा एक्सप्लोरर्स अनुसार जर्मनी के बेंचमार्क डीएएक्स इंडेक्स में किसी भी कंपनी का सबसे अधिक हिस्सेदारी है। जर्मनी की कंपनी दी स्टटगर्ट ने 26 अक्टूबर को कहा था कि उसने 35 फीसदी हिस्सेदारी को बढ़ाया है और उसके पास 31.5 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सेदारी का विकल्प है।