इस साल भी बाजार में नए फंडों ऑफरों (एनएफओ) की बहार रही। 10 लाख करोड़ रुपये के भारतीय म्युचुअल फंड क्षेत्र में इस साल अब तक 45 एनएफओ पेश किए जा चुके है। वर्ष 2007 के बाद यह पहला मौका है जब एक साथ इतनी बड़ी संख्या में बाजार में एनएफओ देखने को मिल रहे हैं। वर्ष 2007 में 48 एनएफओ बाजार में पेश किया गया था।
परिसंपत्ति जुटाने के लिहाज से हालांकि फंड कंपनियां महज 6,426 करोड़ रुपये ही जुटा सकीं जबकि वर्ष 2007 में बाजार में तेजी के दौरान कंपनियों ने 29,284 करोड़ रुपये जुटाने में सफलता हासिल की थी। इसके बावजूद इस साल जुटाई गई राशि वर्ष 2008 के बाद सर्वाधिक है।
एक तरह से यह दर्शाता है कि नए म्युचुअल फंड योजनाओं की किस्मत फिर से पलटी मार रही है जिसकी रंगत पिछले कुछ सालों के दौरान घटती दिख रही है। पिछले साल से स्टॉक कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है और साथ ही मौजूदा म्युचुअल फंड योजनाओं से मिल रहे बेहतर प्रतिफल से भी निवेशकों का रुझान एक फिर से म्युचुअल फंड की ओर बढ़ा है।
वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट के बाद म्युचुअल फंड योजनाओं की ओर निवेशकों का झुकाव काफी तेजी से कम हुआ है। वर्ष 2012 में सिर्फ आठ एनएफओ बाजार में आए और बाजार से इन्हें महज 503 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिली जो वर्ष 2003 के बाद सबसे कम था।
इस साल बाजार में पेश किए गए ज्यादातर एनएफओ क्लोज एंडेड योजनाएं हैं जिनके लिए लॉक इन तीन से पांच साल का है। इस साल जुटाए गए 6,426 करोड़ रुपये में से करीब 80 फीसदी या लगभग 5,000 करोड़ रुपये क्लोज ऐंडेड तरीके से जुटाए गए हैं। क्लोज एंडेड एनएफओ के लिए म्युचुअल फंड वितरकों को 8 फीसदी तक का अपफ्रंट कमीशन मिलता है। पिछले महीने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने वितरकों को भारी भरकम कमीशन का भुगतान करने की आलोचना की थी। विनियामक की चिंता थी कि अधिक कमीशन के लालच में योजनाओं को गलत तरीके से बेचने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के मुख्य कार्यकारी एच एन सिनोर का मानना है कि कमीशन जरूरी है लेकिन इस क्षेत्र में संतुलन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ' मैं अधिग्रहण लागत के होने से इनकार नहीं करता हूं। लेकिन हमें तार्किक होने की जरूरत है। मैंने आमतौर पर इस क्षेत्र के लोगों को वितरकों के लिए कुछ करने के बारे में बात करते हुए सुना है। लोगों को निवेशकों के बारे में सोचना चाहिए।'
कंपनियों को नए म्युचुअल फंड ऑफरों को पेश करने से काफी तेजी की उम्मीद है क्योंकि आने वाले दिनों में बाजार की तेजी से निवेशकों को अच्छा प्रतिफल मिल सकता है। मॉर्निंगस्टार इंडिया के निदेशक (फंड शोध) निरंजन रिसबूद मानते हैं कि बाजार में सुधार हुआ है और लोग निवेश करने के इच्छुक हैं।
उन्होंने कहा, 'चूंकि ज्यादातर फंड क्लोज एंडेड हैं ऐसे में बेहतर कमीशन और वितरक भी निवेशकों को इन योजनाओं में पैसा लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। मेरा मानना है कि यह क्रम चलता रहेगा क्योंकि भारत में चढ़ते बाजार में पैसा कमाने के लिए नई पेशकश एक आसान तरीका है। लॉक इन पीरियड के साथ आने वाले कई फंड हमें बाजार में देखने को मिलेंगे।'
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