हीरों का आयात हुआ तिगुना | दिलीप कुमार झा / मुंबई October 10, 2014 | | | | |
निर्यात बाजार में अनिश्चितता को लेकर आभूषण विनिर्माताओं की बढ़ती चिंताओं के कारण अगस्त में कटे और तराशे हुए हीरों का आयात तिगुना हो गया। निर्यातकों ने घरेलू बाजार में ज्यादा आयात का फैसला लिया है। इससे निर्यात मांग कम निकलने की स्थिति में उनके पास घरेलू बाजार में बिक्री का विकल्प रहेगा। इस क्षेत्र की शीर्ष संस्था रत्नाभूषण निर्यात परिषद (जीजेईपीसी) द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) मुंबई में कटे एवं तराशे हीरों का आयात अगस्त में बढ़कर 2326.29 करोड़ (38.19 करोड़ डॉलर) हो गया है, जो पिछले साल के इसी महीने में 885.18 करोड़ रुपये (14.04 करोड़ डॉलर) था।
हालांकि इस साल अप्रैल से अगस्त तक की अवधि में डीटीए में कटे एïवं तराशे हीरों का आयात बढ़कर चौगुना 12,071.70 करोड़ रुपये (201.01 करोड़ डॉलर) हो गया है, जो पिछले साल के इसी महीने में 3,243.91 करोड़ रुपये (55.51 करोड़ डॉलर) था। डीटीए में कटे एवं तराशे हुए हीरों के आयात से विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) में स्थित कटाई एवं तराशी करने वाली हजारों इकाइयों के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है। सेज में स्थित इकाइयां आयातित माल के मूल्य संवर्धन के बाद निर्यात करने के लिए होती हैं, इसलिए डीटीए में बढ़ता आयात घरेलू बाजार को लेकर ज्वैलरों की आशावादिता को दर्शाता है।
जीजेईपीसी के चेयरमैन विपुल शाह ने कहा, 'डीटीए में आयात पर दो फीसदी शुल्क लगता है, जबकि सेज में ऐसा कोई शुल्क नहीं लगता है। इसके बावजूद अगर आभूषण विनिर्माता डीटीए में माल का आयात कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि उन्हें घरेलू बाजार में संभावनाएं नजर आ रही हैं।' सरकार ने जापान, चीन और अमेरिका के निवेशकों के साथ अगले पांच वर्षो में 1 लाख करोड़ डॉलर के निवेश के करार किए हैं। इतने भारी निवेश की वजह से वैश्विक निवेशक भारत को सकारात्मक ढंग से ले रहे हैं। इसलिए डीटीए में आयातित माल के लिए घरेलू और विदेशी दोनों बाजारों के दरवाजे खुले होंगे। इसके विपरीत सेज में आयातित जिंसों के मूल्य संवर्धन के बाद निर्यात का ही विकल्प है।
शाह ने कहा, 'इस वजह से ज्वैलर अपने निर्यात ऑर्डरों से तुलना किए बिना भारत में बड़ा निवेश कर रहे हैं। अनिश्चित वैश्विक माहौल में बिक्री के ज्यादा विकल्प होना हमेशा फायदेमंद होता है।' इस बीच सेज में तराशे हीरों का आयात इस साल अगस्त में गिरकर एक तिहाई यानी 700.56 करोड़ रुपये रह गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि में 2,191.44 करोड़ रुपये था।
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