बिक्री बढ़ाने को बेताब पुरानी वस्तुओं के ऑनलाइन विक्रेता | अनुषा सोनी / नई दिल्ली October 05, 2014 | | | | |
त्योहारी सीजन के दौरान बिक्री बढ़ाने की रणनीति बनाने में न केवल फ्लिपकार्ट, एमेजॉन और स्नैपडीज जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां जुटी हुई हैं बल्कि पुरानी वस्तुओं की ऑनलाइन बिक्री करने वाली ओएलएक्स और क्विकर जैसी कंपनियां भी इस साल दीवाली को भुनाने के लिए पूरी तरह तैयार दिख रही हैं। क्विकर की टैग लाइन है 'फोटो खेंच, क्विकर पे बेच!'। क्लासिफाइड विज्ञापन कारोबार में अपनी प्रतिस्पर्धी ओएलएक्स से आगे बढ़ते हुए कंपनी ने फ्लिपकार्ट के साथ करार किया है। क्विकर लोगों को अपने पुराने सामान बेचने और इस त्योहारी सीजन में फ्लिपकार्ट पर नए सामान खरीदने के लिए प्रोत्साहित करती है।
वास्तव में पुराने सामानों को बेचना कभी इतना आसान नहीं रहा- यहां तक कि बकरीद के मौके पर बकरों को भी इन साइटों पर सूचीबद्ध किया गया है। विश्लेषकों का कहना है कि करीब 22,000 करोड़ रुपये के इस बाजार (पुरानी वस्तुओं) के प्रमुख खिलाडिय़ों को त्योहारी सीजन के दौरान वेबसाइट पर ट्रैफिक 50 फीसदी से अधिक बढऩे की उम्मीद है। पुरानी वस्तुओं की खरीद-बिक्री करने वाली एक कंपनी की सेल्स टीम से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, 'त्योहारी सीजन के दौरान बिक्री का अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन दीवाली से 10 दिन पहले बिक्री में करीब 40 फीसदी की तेजी एक अच्छा संकेत माना जाएगा। इसके लिए हम कोशिश कर रहे हैं और हम आसानी से अपने लक्ष्य को पार कर जाएंगे।'
ब्रांड निर्माण के जबरदस्त अभियान के साथ ही दीवाली से पहले इन कंपनियों के विज्ञापन खर्च में करीब 15 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अलावा ऑनलाइन लिस्टिंग और लेनदेन में भी वृद्धि दर्ज की जा रही है। अर्जेंटीना की क्लासिफाइड्ïस साइट ओएलएक्स को 2006 में भारत में लॉन्च किया गया था और आज इस पर करीब 97 लाख वस्तुओं की सूची उपलब्ध है। इसका दायरा विश्व के 96 देशों तक फैला हुआ है और करीब 500 भारतीय साइटों पर इसे सूचीबद्ध किया गया है। इस वेबसाइट पर वस्तुओं की प्रमुख श्रेणियां इस प्रकार हैं- पुराने मोबाइल फोन, कार, मोटरसाइकिल और घर व रसोई के सामान।
दीवाली करीब होने के कारण कंपनी को जबरदस्त बिक्री होने की उम्मीद है। ओएलएक्स अपने भारतीय कारोबार के आंकड़े जारी नहीं करती है लेकिन उद्योग के आकलन के अनुसार यहां इसकी वेबसाइट पर हर महीने 80 लाख नए यूजर आते हैं।इसी प्रकार, क्विकर भी अपनी बेवसाइट पर करीब 1 करोड़ वस्तुओं को सूचीबद्ध करने का दावा करती है। कंपनी का कहना है कि उसकी वेबसाइट के जरिये हर महीने 10 लाख से अधिक लेनदेन और करीब 2 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं की खरीद-बिक्री होती है। क्विकर के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, 'पिछले साल के बाद हमारे कारोबार में कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है।'
क्विकर की वेबसाइट पर मूल्यवद्र्धित सुविधा के रूप में 'न्यूनतम बिक्री मूल्य कैल्कुलेटर' की पेशकश की गई है ताकि खरीदारों और विक्रेताओं को सही मूल्य की जानकारी मिल सके। इसके तहत ताजा बाजार आंकड़ों के जरिये न्यूनतम मूल्य का आकलन किया जाता है। क्विकर के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी प्रणय श्युलेट ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'यह खरीदारों में विश्वास बढ़ाने के लिए हमारी पहल है। इससे पुरानी वस्तुओं की कीमत कहीं अधिक स्पष्टï हो जाती है।' भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय प्रबंध संस्थान के पूर्व छात्र श्युलेट ने 2008 में क्विकर को लॉन्च किया था। कंपनी आठ दौर में अब तक 1,300 करोड़ रुपये की पूंजी जुटा चुकी है। कंपनी के निवेशकों की सूची में टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट, किनेविक, मैट्रिक्स पार्टनर्स और ईबे शामिल हैं। इसके मुकाबले ओएलएक्स ताजा निवेश के साथ संभवत: करीब 4 करोड़ डॉलर जुटा चुकी है।
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