सिन्हा पर लगे आरोपों की होगी सुनवाई | बीएस संवाददाता/भाषा / नई दिल्ली September 22, 2014 | | | | |
उच्चतम न्यायालय सीबीआई निदेशक के आवास पर आगंतुकों की डायरी में दर्ज विवादास्पद प्रविष्टियों के नाम का खुलासा करने वाले व्हिस्ल ब्लोअर का नाम जाने बिना जांच एजेंसी के प्रमुख के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सुनवाई के लिए राजी हो गया है। साथ ही अदालत ने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) आनंद ग्रोवर को इस मामले की जांच के लिए नियुक्त किया है जो सभी दस्तावेजों का अध्ययन कर 10 अक्टूबर तक अदालत को सौपेंगे। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि सीबीआई फाइलों और शीर्ष सीबीआई अधिकारी के खिलाफ आरोपों से जुड़े आगंतुक सूची रजिस्टर समेत सभी दस्तावेज ग्रोवर को सौंपे जाएं।
न्यायाधीश एच एल दत्तू की अगुआई वाले पीठ ने कहा कि उसके द्वारा पारित किसी भी आदेश का करोड़ों रुपये के घोटालों से संबंधित मामलों पर असर हो सकता है। पीठ ने गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के वकील प्रशांत भूषण की अपील पर भी सुनवाई के लिए सहमति जताई, जिसने शीर्ष अदालत से अपील की थी कि वह सीलबंद लिफाफे में व्हिस्ल ब्लोअर के नाम का खुलासा करने संबंधी अपने पूर्व के आदेश को वापस ले। पीठ ने सीबीआई निदेशक के वकील विकास सिंह की इस याचिका को खारिज कर दिया कि एनजीओ द्वारा सीबीआई फाइल नोटिंग और रजिस्टर समेत दस्तावेजों को लीक करने वाले 'भेदिये' के नाम का खुलासा करने से इनकार करने के कारण उच्चतम न्यायालय को मामले की आगे सुनवाई नहीं करनी चाहिए। जब सीबीआई के वकील ने अपील की कि कोई निर्देश जारी करने से पूर्व उनकी बात सुनी जानी चाहिए और कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए तो पीठ ने कहा, 'नहीं, नहीं। मिस्टर विकास, हमें खेद है।'
सिन्हा ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि सीबीआई द्वारा जांचे जा रहे मामलों में से किसी भी मामले में उनकी ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है। साथ ही उन्होंने अदालत से गुहार लगाई कि इस मामले को एक भी दिन जारी रखा गया तो इससे सार्वजनिक अहित होगा और इससे 2 जी मामलों पर असर पड़ेगा। पीठ ने हालांकि कहा, 'हमें ऐसा नहीं लगता।' सिंह ने यह भी कहा कि एनजीओ को भेदिये के नाम का खुलासा अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार का हलफनामा एनजीओ ने दाखिल किया है, उसे अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि ऐसे तो कोई भी शीर्ष अदालत में आधारहीन आरोप लगाने के बाद आराम से बच निकलेगा। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि सीबीआई फाइलों और शीर्ष सीबीआई अधिकारी के खिलाफ आरोपों से जुड़े आगंतुक सूची रजिस्टर समेत सभी दस्तावेज एसपीपी आनंद ग्रोवर को सौंपे जाएं, जो सारी सूचना का अध्ययन करेंगे और 10 अक्टूबर को अगली सुनवाई पर अदालत की सहायता करेंगे।
शीर्ष अदालत में कार्यवाही शुरू होने पर एनजीओ की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण ने व्हीस्ल ब्लोअर के नाम का खुलासा करने में अपनी 'अक्षमता' को लेकर न्यायालय से बिना शर्त माफी मांगी और अदालत से गुहार लगाई कि नाम का खुलासा करने वाले अपने पूर्व के आदेश को वह वापस ले ले। दवे ने इसके आगे कहा कि यह सीबीआई निदेशक के चरित्र हनन का प्रयास नहीं है लेकिन न्यायालय को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को देखना चाहिए जिनकी जांच किए जाने की जरूरत है।
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