एक माह में नई कपड़ा नीति को दिया जाएगा अंतिम रूप! | शर्लिन डिसूजा / मुंबई September 11, 2014 | | | | |
कपड़ा मंत्रालय द्वारा अगले महीने में राष्ट्रीय कपड़ा नीति को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है और इस सिलसिले में मंत्रालय दिल्ली और मुंबई में कई बैठकें कर चुका है। पिछली बैठक बीते सप्ताह मुंबई में कपड़ा आयुक्त कार्यालय में हुई थी। उस बैठक में उद्योग के प्रतिनिधियों ने नई नीति की तत्काल जरूरत बताई थी। इससे पहले 2001 में कपड़ा नीति बनाई गई थी। पिछली सरकार ने बीते कुछ वर्षों के दौरान नई कपड़ा नीति पेश करने का प्रयास किया था और विचार-विमर्श के लिए मसौदा नीति पेश की, लेकिन अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका। हालांकि वर्तमान राजग सरकार ने मसौदा नीति फिर से पेश की है और इसे जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का फैसला किया है।
मंत्रालय को जुलाई के अंत में दृष्टि पत्र का मसौदा सौंपा गया था। इसका मकसद कपड़ा क्षेत्र में 120 अरब डॉलर का निवेश लाना है, ताकि यह क्षेत्र वर्ष 2024-25 तक 650 अरब डॉलर की वृद्धि हासिल कर सके। इसके अलावा उद्योग के लिए कुशल श्रमिकों की उपलब्धता भी समय की मांग हैं। उद्योग को 650 अरब डॉलर की वृद्धि हासिल करने के लिए 3.5 करोड़ कुशल कामगारों की जरूरत होगी। कपड़ा मंत्री संतोष गंगवार ने नई नीति को अंतिम रूप देने के लिए सितंबर के अंत में एक बैठक बुलाई है। यह नीति इसलिए अहम है, क्योंकि देश में कपास का उत्पादन बढ़ रहा है और बढ़ते उत्पादन के लिए अनुकूल कपड़ा नीति बनाना महत्त्वपूर्ण होगा। विशेष रूप से ऐसे समय जब चीन से कपास की मांग कम हो रही है।
पिछले सप्ताह इस उद्योग से जुड़े लोगों के साथ बैठक में कपड़ा मंत्रालय के अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि इस उद्योग में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने की जरूरत है और स्टार्ट-अप को अहमियत दी जानी चाहिए। अधिकारियों के मुताबिक, 'भारतीय खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को बढ़ाने से भी इस भी इस क्षेत्र को मदद मिलेगी। मंत्रालय भारत को तैयार उत्पादों का शुद्ध निर्यातक बनाना चाहता है और यह मूल्य संवर्धित उत्पादों पर जोर दे रहा है। कुछ वर्षों पहले कपड़ा क्षेत्र को वृद्धि की राह पर लाने में तकनीकी उन्नयन कोष योजना (टीयूएफएस) काफी मददगार साबित हुई थी। लेकिन कुछ साल पहले कपास की कीमतें आसमान छूने से उद्योग पटरी से उतर गया। तत्कालीन सरकार ने टीयूएफएस भी बंद कर दी थी, लेकिन इसे फिर शुरू कर दिया गया। अब कपड़ा मंत्रालय में विचार चल रहा है कि सैकेंड हैंड मशीनरी के लिए टीयूएफएस का लाभ मुहैया नहीं कराया जाना चाहिए।
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