सिगरेट से लेकर प्रमुख होटलों के कारोबार में लगी आईटीसी लिमिटेड को अपने खाद्य पदार्थों के व्यवसाय में पिछले 7 वर्षों में अनुमानित रूप से 700 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
पिछले वित्तीय वर्ष के लिए इस सेगमेंट का राजस्व 1,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया था और इसे सालाना आधार पर तकरीबन 60 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान इसके पूरे एफएमसीजी व्यवसाय का राजस्व 2,523 करोड़ रुपये दर्ज किया गया था।
इसके लाभ एवं घाटे में आईटीसी के ब्रांडेड डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों (स्टैपल्स, बिस्कुट, कन्फेक्शनरी, स्नैक फूड और रेडी टु ईट फूड्स), वस्त्र, शैक्षाणिक एवं अन्य स्टेशनरी, माचिस, अगरबत्ती और एफएमसीजी के तहत आने वाले पर्सनल केयर उत्पादों की अहम भूमिका है।
आईटीसी अपने खाद्य पदार्थों के कारोबार में विशेष कर किसी नुकसान पर टिप्पणी करने को तैयार नहीं है। हालांकि इस कारोबार के बारे में कंपनी द्वारा समय-समय पर वित्तीय सूचनाएं दी जाती रही हैं।
आइटीसी ने किचंस ऑफ इंडिया ब्रांड की शुरुआत के साथ ब्रांडेड एवं डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के व्यवसाय में अगस्त 2001 में दस्तक दी थी। जून, 2002 में कंपनी ने कन्फेक्शनरी, स्टैपल्स और स्नैक फूड्स सेगमेंट में भी अपने ब्रांड लॉन्च कर अपनी स्थिति मजबूत बनाई।