सरकारी स्वामित्व वाली प्रसार भारती की फ्री-टु-एयर डायरेक्ट-टु-होम (डीटीएच) सेवा डीडी डायरेक्ट प्लस को मौजूदा वित्त वर्ष 2008-09 में 100 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रसारणकर्ताओं से कम दरों पर कैरिज शुल्क लेने और डीटीएच ट्रांसपॉन्डर क्षमताओं के कम इस्तेमाल के कारण प्रसारण भारती को यह नुकसान होगा। प्रसार भारतीय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, डीडी डायरेक्ट प्लस के बोर्ड में लगभग 27 निजी चैनल हैं और हर चैनल 60 लाख रुपये सालाना कैरिज शुल्क के रूप में अदा करता है।
विशेषज्ञों के अनुसार यह कैरिज शुल्क निजी डीटीएच सेवा मुहैया कराने वाले ऑपरेटरों की ओर से वसूले जाने वाले कैरिज शुल्क के मुकाबले सिर्फ पांचवा हिस्सा ही है। डीटीएच सेवाओं के एक विशेषज्ञ का कहना है, '27 चैनल जो कैरिज शुल्क चुका रहे हैं, उनके लिए प्रसार भारती को कम से कम 81 करोड़ रुपये मिल सकते हैं, जबकि अभी उसे सालाना 16.2करोड़ रुपये मिल रहे हैं।
प्रसार भारती को यह सीधा-सीधा कम से कम 64 करोड़ रुपये का नुकसान है।' प्रसार भारती के अधिकारियों के अनुसार डीडी डायरेक्ट प्लस जल्द ही दूसरे 11-12 निजी चैनलों को और शामिल करने वाली है, ताकि उसके चैनलों की संख्या बढ़कर 47 से लगभग 59 हो जाए।
अधिकारियों का कहना है कि इन नए शामिल होने वाले चैनलों से उसे सीधा 60 लाख रुपये सालाना बतौर कैरिज शुल्क मिलेंगे। इस दर पर प्रसार भारती और 7.2 करोड़ रुपये अतिरिक्त कमा लेगी, अगर प्रसार भारती हर चैनल से औसत कैरिज शुल्क 3 करोड़ रुपये सालाना लेने के बाद 36 करोड़ रुपये बतौर कैरिज शुल्क जमा करेगी।
प्रसार भारती के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया है कि उसे बेहद कम दर पर कैरिज शुल्क लगाने से राजस्व में नुकसान हो रहा है। उनका कहना है, 'डीटीएच परिचालनों के लिए हमारी एक अहम समिति है, जो कैरिज शुल्क और डीडी डायरेक्ट प्लस के मासिक आधार पैकेज से जुड़े अन्य मामलों की समीक्षा कर रही है।
दरअसल कैरिज शुल्क के लिए 60 लाख रुपये की नई दर अगस्त में ही लागू हुई है, इसलिए कैरिज शुल्क में दोबारा बदलाव करने के लिए कम से कम 6 महीने तक हमें इंतजार करना होगा।'